Delhi blast: दिल्ली के लाल किले के पास हुए शक्तिशाली विस्फोट ने ना सिर्फ दिल्ली के चैन और सुकून को धक्का पहुंचाया, बल्कि मारे गए लोगों के सैकड़ों किलोमीटर दूर बसे घरों के सपनों और उम्मीदों को भी चकनाचूर कर दिया। उनके प्रियजन अब एक ऐसे गम में डूब गये हैं, जिससे वे शायद ही कभी उबर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती और देवरिया की शांत गलियों से लेकर मेरठ, अमरोहा और शामली की चहल-पहल वाली सड़कों तक इस घातक कार विस्फोट के पीड़ित बिल्कुल आम लोग थे। उनमें से कोई टैक्सी और ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का गुजारा करता था तो कोई सौंदर्य प्रसाधन की दुकान चलाकर तो कोई दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) में बस कंडक्टर की नौकरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। उन सभी ने बेहतर जीवन के अपने सपनों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी का रुख किया था मगर उन्हें कतई गुमान नहीं होगा कि एक वारदात उन उम्मीदों को टुकड़े-टुकड़े कर देगी।
पीड़ितों में श्रावस्ती जिले के गणेशपुर गांव निवासी दिनेश मिश्रा (32) भी शामिल थे। वह अपनी पत्नी और तीन छोटे बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए दिल्ली के चावड़ी बाजार स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करते थे।उदासी से बोझिल आंखें लिए उनके पिता भुरई मिश्रा ने याद किया कि दिनेश इस घातक विस्फोट से ठीक 10 दिन पहले दीपावली मनाकर दिल्ली लौटा था।
मिश्रा ने कहा, ”दिनेश मेहनती इंसान था। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता था। हमें अब भी यकीन नहीं हो रहा कि वह चला गया।” श्रावस्ती के जिलाधिकारी अश्विनी पांडेय ने बताया कि दिनेश का पार्थिव शरीर श्रावस्ती लाया जा रहा है। उन्होंने पीटीआई वीडियो को बताया, ”मैंने परिवार से बात की है और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।”
मेरठ के लोहिया नगर निवासी 32 वर्षीय मोहसिन भी दिल्ली में हुई घटना के पीड़ितों में शामिल हैं। हालांकि उसकी मौत परिवार में दो फाड़ भी कर गई। दिल्ली में पिछले दो साल से ई-रिक्शा चला रहा मोहसिन लाल किले के लिए सवारियां ले जा रहा था तभी वह विस्फोट की चपेट में आ गया। उसके शव को अंत्येष्टि के लिए उसके घर लाया गया तो उसे दफनाने के लिए उसकी पत्नी और पिता और भाइयों के बीच विवाद हो गया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब मोहसिन का पार्थिव शरीर उसके घर लाया गया, तो उसकी पत्नी सुल्ताना और उसके पिता के बीच मतभेद हो गए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सुल्ताना चाहती थी कि क्योंकि उसका परिवार दो साल से दिल्ली में ही रह रहा था और उसके बच्चे भी दिल्ली में ही पढ़ रहे हैं तो मोहसिन को दिल्ली में ही दफनाया जाए।
सूत्रों के अनुसार मगर मोहसिन के पिता और भाइयों का कहना था कि मेरठ मोहसिन की जन्मभूमि है, इसलिए उसे यहीं पर दफन किया जाए। विवाद बढ़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और काफी बहस-मुबाहिसे के बाद सुल्ताना अपने शौहर के शव को लेकर दिल्ली रवाना हो गई, शामली के 18 वर्षीय नौमान अंसारी अपनी दुकान के लिए सौंदर्य प्रसाधन का सामान खरीदने दिल्ली गया था तभी विस्फोट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई।
अंसारी के चाचा फुरकान ने पीटीआई वीडियो को बताया, ”नौमान की मौके पर ही मौत हो गई। उसका चचेरा भाई अमन घायल हो गया और उसका दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।”
दिल्ली की घटना के अन्य पीड़ितों में अमरोहा जिले के 34 वर्षीय डीटीसी बस कंडक्टर अशोक कुमार भी शामिल थे जो नौकरी करके अपने बुज़ुर्ग माता-पिता और दो छोटे बच्चों का पालन-पोषण कर रहे थे। दिल्ली विस्फोट मामले में अमरोहा जिले के हसनपुर निवासी 58 वर्षीय खाद व्यापारी लोकेश कुमार अग्रवाल की भी मृत्यु हो गई। वह सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती अपने एक रिश्तेदार से मिलने दिल्ली गए थे।
लोकेश के पड़ोसी यशपाल सिंह ने बताया, ”लोकेश एक नेकदिल इंसान थे और हर जरूरतमंद की मदद करते थे।” मूल रूप से बिहार के रहने वाले 22 वर्षीय पंकज सहनी की भी विस्फोट में मौत हो गई। वह राजधानी में टैक्सी चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके रिश्तेदार रामदेव सहनी ने बताया कि उनके भतीजे की मौत के बारे में दिल्ली के कोतवाली थाने से एक फोन आया था। सहनी ने शवगृह के बाहर पोस्टमार्टम पूरा होने का इंतजार करते हुए कहा, ”पंकज तीन साल से टैक्सी चला रहा था। हमें बताया गया कि विस्फोट में उसके सिर का पिछला हिस्सा उड़ गया था। कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी।”
कई लोग ऐसे भी थे जो इस घटना में किसी तरह बच तो गए लेकिन उस घटना की भयावह यादें हमेशा उनके जहन पर चस्पा रहेंगी। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भलौनी कस्बे में एक छोटी सी रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाला 22 वर्षीय शिवा जायसवाल भी विस्फोट में घायल हुए लोगों में शामिल है। वह त्योहारों के मौसम के लिए नया सामान खरीदने दिल्ली गया था तभी वह लाल किले के पास हुए विस्फोट की चपेट में आने से घायल हो गया।
शिवा की बहन पूर्णिमा जायसवाल ने पीटीआई वीडियो को बताया कि शिवा ने उस दिन पहले ही फोन करके बताया था कि उसने खरीदारी पूरी कर ली है और घर लौटने से पहले अपनी मौसी से मिलने जाएगा। उन्होंने कहा, ”फिर हमने टीवी पर विस्फोट के बारे में सुना तो शिवा को फोन किया मगर उसका फोन कनेक्ट नहीं हो रहा था। बाद में हमें पता चला कि वह भी विस्फोट में घायल हुआ है और अस्पताल में भर्ती है।”
शिवा की मां और बीजेपी महिला मोर्चा की स्थानीय नेता माया जायसवाल ने बताया कि उन्हें इस बात की तसल्ली है कि उनका बेटा जिंदा है लेकिन मौत उसके कितने करीब से होकर गुजर गई, यह सोचकर मन सिहर उठता है। दिल्ली पुलिस के अनुसार मंगलवार को तीन और लोगों की मौत के साथ ही सोमवार शाम लाल किले के पास हुए विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। घटना में कई व्यक्ति घायल हुए हैं।
इस सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है तथा हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, शॉपिंग मॉल, बाजारों और अन्य भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।