Abbas Ansari: मुख्तार अंसारी के बेटे व मऊ से विधायक रहे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है, अब्बास अंसारी को मऊ कोर्ट से सुनाई गई दो साल की सजा पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 के नफरती भाषण मामले में पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को राहत दी है और अब अब्बास अंसारी की विधायकी बहाल हो सकती है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की की मऊ सदर सीट पर अब उपचुनाव नहीं होगा। न्यायमूर्ति ने विशेष सांसद-विधायक अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उन्हें दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।
मऊ की विशेष अदालत ने भाषण मामले में 31 मई को अब्बास को दोषी ठहराते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। अब्बास ने अपीलीय अदालत का रुख किया, जिसने पांच जुलाई को उनकी याचिका खारिज कर दी, इसके बाद उन्होंने राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) और 189 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 171एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव डालना) के तहत सजा सुनाई गई थी।
अंसारी पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था, भाषण के दौरान मंच पर मौजूद रहे अब्बास के चुनाव एजेंट मंसूर खान को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।
मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के तत्कालीन विधायक अंसारी ने राज्य सरकार के अधिकारियों को 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने पर कथित तौर पर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
उन्होंने कथित तौर पर कहा था, “मैंने अखिलेश भैया (पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव) से कहा है कि सरकार बनने के बाद, छह महीने तक नौकरशाहों का कोई तबादला या पोस्टिंग नहीं होगी। सभी वहीं रहेंगे जहां वे हैं। पहले हिसाब-किताब होगा, उसके बाद ही तबादले होंगे।” उन्होंने मऊ सीट से 38 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।