Women’s Day: सम्मान पाने वाली राज्य की पहली महिला अधिकारी

Women’s Day: हर महिला, जो अपने बड़े सपनों को साकार करना चाहती है, उसके लिए प्रेरणा हैं छत्तीसगढ़ की अंजू कुमारी। छत्तीसगढ़ पुलिस में DSP अंजू को इस साल वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से नवाजा जाएगा। ये सम्मान पाने वाली वे छत्तीसगढ़ की पहली महिला DSP होंगी।

बिलासपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने 2016 में पहली ही कोशिश में राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली। नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने एक कामयाब नक्सल विरोधी अभियान की अगुवाई की और सुर्खियों में आ गईं।

अंजू कोरबा में किसान परिवार में पली-बढ़ीं। बच्चों की अच्छी शिक्षा का खर्च उठाना तो दूर, गुजारे के लिए भी भारी परिवार को भारी मशक्कत उठानी पड़ती थी।
फिर भी अंजू और उसके परिवार की सोच अलग थी। कठिनाइयों के बावजूद अंजू के माता-पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए जीतोड़ कोशिश की, ताकि वे जीवन में आगे बढ़ें।

हर महत्वाकांक्षी लड़की को अंजू कुमारी खास संदेश देती हैं। फिलहाल अंजू कबीरधाम में DSP हैं। आर्थिक कठिनाईयों से लड़ते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा में कामयाब अधिकारी बनने तक, अंजू की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो सपनों की उड़ान को परवान चढ़ाना चाहती है।

DSP अंजू कुमारी ने कहा, “दंतेवाड़ा की मैं बात करूं तो मेरी जिंदगी की सबसे वर्किेंग लाइफ की बात करूं तो बहुत मेमोरेबल है। वहां पे मेरी जुलाई 2021 से पोस्टिंग थी। मैं दंतेश्वरी फाइटर्स की पार्ट रहकर डीआरजी में काम करी। तो उस दौरान हमने एक घटना में तीन नक्सली मारे थे। फिर हमने एक कैंप खोला नहाड़ी करके। वहां पे हमने दो नक्सली मारा। ये थाना अरहनपुर, जिला दंतेवाड़ा की घटना है। इसी घटना के लिए मुझे राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार मिला है। बहुत अच्छा महसूस हो रहा है कि मैं छत्तीसगढ़ की पहली महिला DSP हूं जिसे राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है।”

“अन्य जितनी महिलाओं को मैं संदेश देना चाहती हूं। मैं खुद भी गांव से हूं। मेरी 12वीं तक की पढ़ाई गांव से रही। चाहे वो महिला गांव से रहे। शहर से रहे। मैं खुद भी इतना स्ट्रगल करके या मेहनत करके इस जगह पे पहुंची तो किसी के लिए भी ये कोई टफ या बहुत मुश्किल नहीं है। बस अपना लक्ष्य निर्धारित करिए कि मुझे ये करना है। क्योंकि समय जो है ना, 24 घंटे, वो हर किसी के लिए उतने ही होते हैं। वो आपके ऊपर है कि आप उस 24 घंटे में से कितने घंटे अपने लक्ष्य को देते हैं और कितने घंटे बाकी चीजों को देते हैं।”

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