Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में सिकोसा गांव के युवा इस मैदान को बड़े अरमानों से देखते हैं, उनकी दिली चाहत है कि वे मैदान में शांति से बैठकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें।
लेकिन कचरे के ढेर और नशे में धुत लोगों से अटे इस मैदान ने युवाओं की इच्छाओं पर पानी फेर दिया है, गांव के सरपंच का कहना है कि मैदान के रखरखाव में सबसे बड़ी रुकावट पैसों की कमी है। चुनौतियों के बावजूद भविष्य को लेकर युवाओं की उम्मीदें बनी हुई हैं, उन्हें भरोसा है कि प्रशासन इस मैदान को नया रूप देने के लिए जरूर कदम उठाएगा।
छात्रा मनीषा साहू ने बताया कि “कठिनाइ हमें सिर्फ यही है कि दौड़ने के लिए मैदान नहीं है। 400 का ट्रैक नहीं है, 700 का एक ही ट्रैक है जिसमें ऊबड़-खाबड़ बहुत सारे गड्ढे हैं। फिर भी हम उसी मैदान में चार राउंड या दो राउंड जैसा भी बन जाता है वैसे लगाते हैं।”
“पास में ही शराब की भट्टी है तो वहां से सब शराबी लोग आकर बैठ कर पीते हैं और यहीं पर सारी चखने की दुकान वगैरा है तो यहां पूरी गंदगी फैला देते हैं, जब भी हम सुबह मैदान आते हैं, शाम को मैदान में आते हैं तो पहले साफ सफाई करते हैं उसके बाद अपनी जो भी एक्टिविटी है वो सब करते हैं।”
इसके साथ ही कहा कि “यह निजी जमीन है, पंचायत ने हम लोगों को जमीन नहीं दी है। हमारे गांव के जितने भी बच्चे हैं, जो भी यहां दौड़ लगता हैं या कसरत वगैरा करते हैं हम लोग सभी मिल-झुल कर करते हैं। जो भी लगा है संसाधन यहां पर वो सब हमारे बच्चों ने कुछ-कुछ अपनी जेब से लगा कर किया है।”
सरपंच अरूप चंद्राकर ने कहा कि “हमने गौठान के लिए एक जगह सुरक्षित की है लेकिन फंड के अभाव में हम उस गौठान का घेरा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए इस मैदान को हम एकदम से खुला नहीं छोड़ पा रहे हैं। रही बात कि थोड़ा सा शराब की लत के कारण यहां जो बैठते हैं वो डिस्पोजल या अन्य कचरा जो कर देते हैं वो हमारी भूमि नहीं है, निजी लगानी भूमि है जिस पर आज वे खेल-कूद कर रहे हैं।”