Year Ender 2024: शेयर बाजार पर घरेलू और वैश्विक कारकों का असर, पिछले साल के मुकाबले बाजार चढ़ा

Year Ender 2024: भारतीय शेयर बाजार में साल 2024 में काफी अस्थिरता रही। घरेलू और वैश्विक घटनाओं का असर शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के रूप में देखने को मिला। साल के अंत में 30 शेयरों वाला बेंचमार्क इंडेक्स- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पिछले साल अपने समापन स्तर के मुकाबले 6,000 अंक से ज्यादा बढ़ गया।

इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 2024 में पिछले साल के आखिरी कारोबारी सत्र में समापन स्तर से करीब 2,000 अंक ज्यादा रहा। 2024 में शेयर बाजार पर असर डालने वाली पहली प्रमुख घटना थी, आम चुनाव। चुनाव नतीजों में अनिश्चतता का असर निवेशकों के रुख पर पड़ा।

इससे निर्माण, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा मिला। वैश्विक आर्थिक हालत का भी शेयर बाजार पर भारी असर पड़ा। तेल की बढ़ती कीमतों से तेल और गैस शेयरों में बढ़त दर्ज की गई। बाजार ने ग्लोबल इकनॉमिक परिस्थितियों पर भी रिएक्ट किया, तेल की बढ़ती कीमतों के कारण तेल और गैस शेयरों में बढ़त हुई।

शेयर बाजार को आगे बढ़ाने में प्रौद्योगिकी सेक्टर का अहम योगदान रहा। इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो और एचसीएल टेक जैसी दिग्गज कंपनियों ने साल के अंत में अच्छा मुनाफा कमाया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीन दरों में कटौती का ऐलान किया। इसका भी शेयर बाजार पर असर पड़ा। नीतिगत दर में 100 बेसिस अंकों की कमी हुई।

घरेलू दरों को स्थिर रखने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले का असर शेयर बाजार पर पड़ा। बाजार को स्थिरता मिली, जिसका असर बैंकिंग सेक्टर और वित्तीय बाजारों पर पड़ा। 2024 में IPO से जुड़ी गतिविधियां बढ़ीं। BSE IPO सूचकांक लगभग 35 फीसदी बढ़ गया। टेक और उपभोक्ता सामानों वाली कंपनियों के IPO महत्वपूर्ण रहे।

साल का अंत करीब आने के साथ इक्विटी बाजारों में सकारात्मक रुझान को जानकार खास मानते हैं। उनका मानना है कि इसकी वजह घरेलू स्तर पर मजबूत लिक्विडिटी, अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांत और नीतिगत स्थिरता हैं।
जानकारों का अनुमान है कि 2025 में भारतीय इक्विटी बाजार अच्छा करेंगे। हालांकि मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन तनाव की आशंका जैसे बाहरी कारकों का नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।

निवेश विशेषज्ञ भी जोखिम को कम करने के लिए वर्ष 2025 में परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान देने के साथ मजबूत बुनियादी सिद्धांतों वाली उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करने या म्यूचुअल फंड का चयन करने की सलाह दे रहे हैं।
अगले साल मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों से भी काफी उम्मीदें हैं। ये घरेलू खपत में बढ़ोतरी और बुनियादी ढांचे पर सरकार के खर्च करने जैसे कारकों से प्रेरित होंगे।

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