Monsoon: गया में हर ओर दिख रहा है बाढ़ से हुई तबाही

Monsoon:  बिहार के गया ज़िले में बाढ़ ने हर ओर तबाही मचाई है, जहां देखो वहां बर्बादी नजर आ रही है, टूटी सड़कों और पुलियों ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है, इस बदहाली से सबसे ज़्यादा किसान और मज़दूर प्रभावित हैं।

ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के कारण नदियाँ उफान पर हैं, जिससे कई गांव जलमग्न हो गए हैं और अब बाढ़ की मार झेल रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ से हुई बर्बादी के बाद निरीक्षण का काम जारी है। सभी प्रभावित गांवों में अधिकारी पहुंच रहे हैं। इसके अलावा एसडीआरएफ सहित आपातकालीन टीमों को ज़मीनी स्तर पर तैनात किया गया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उन्हें बाढ़ का कहर झेलना पड़ा है, लोगों का कहना है कि बार-बार आने वाली आपदाओं और नुकसान के बावजूद सरकार की तरफ से न तो सर्वे किया गया और न ही कोई मुआवजा दिया गया।

मानसून के जारी रहने की वजह से जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर है, जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी अधिकारी हर दो घंटे में नदी के जल स्तर की निगरानी कर रहे हैं।

जिलाधिकारी शशांक शुभांकर ने बताया कि “आज पानी का जो लेवल आया है, वह अभी तक के उच्चतम जलस्तर से भी 60 सेंटीमीटर ज्यादा आया है, इसलिए बतसपुर और उसके आस-पास के गांवों में पानी घुस गया है। हमारे ज़िला अधिकारी, उप-विभागीय अधिकारी और बाढ़ नियंत्रण अधिकारी इलाके में पहुँच गए हैं। यहाँ तक कि एसडीआरएफ की टीम भी वहाँ मौजूद है।

हर गाँव का निरीक्षण किया गया है। फ़िलहाल घरों में पानी नहीं घुसा है, और अगर किसी को कोई परेशानी हो रही है, तो हमने स्कूल में लोगों के रहने की व्यवस्था कर दी है।”

सहायक आपदा अधिकारी सुरभि सिंह का कहना है कि “गया जिले में आज बहुत ज्यादा प्रभाव हो गया है बाढ़ का, इसलिए हमारी टीम सक्रिय है और लगे हुए हैं हम लोग कि कहीं कोई नुकसान न हो।

स्थानीय लोगों ने बताया कि “म धान, करेला और कई अन्य फसलें उगाई थीं, लेकिन बाढ़ के कारण रोज़गार के सारे साधन ठप हो गए हैं। अब सब कुछ सड़ रहा है। अगर हम अपने लिए खाने का भी इंतज़ाम नहीं कर सकते, तो डूबकर मर जाना ही बेहतर है।

“सैकड़ों एकड़ सिंचाई ज़मीन जलमग्न है और इस साल ऐसा दूसरी बार हो रहा है। ज़िला प्रशासन की नज़र इस गाँव पर है, लेकिन उनकी तरफ़ से उदासीनता है। न तो कृषि अधिकारी यहां मुआयना करने आ पाए हैं, न ही जान-माल के नुकसान का कोई सर्वे हुआ है। इस तरह से बहुत दिक्कतें आ रही हैं। ऊपर से आस-पास के दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली हमारी सड़क भी टूटी हुई है। ये दूसरी बार टूटा है।”

 

 

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