Maithili Thakur: बिहार विधानसभा चुनाव, लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने चुनाव लड़ने की जताई इच्छा

Maithili Thakur:  पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं से मुलाकात के बाद लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने अपने गृह क्षेत्र बेनीपट्टी से बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा महोत्सव में प्रस्तुति देने आईं मैथिली ने कहा कि उनका उनके गृह क्षेत्र से अलग ही जुड़ाव है और अगर वे अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत वहां से करेंगी तो वह बहुत कुछ सीख सकेंगी।

मैथिली ने पिछले दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के संगठन प्रभारी विनोद तावडे और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। इसके बाद से उनके चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। निर्वाचन आयोग ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा की। वहां दो चरणों में छह और ग्यारह नवंबर को मतदान होगा जबकि 14 नवंबर को मतों की गिनती होगी।

पसंद के विधानसभा चुनाव क्षेत्र के बारे में पूछे जाने पर मैथिली ने कहा कि इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन वे अपने गांव के क्षेत्र में जाना चाहेंगी क्योंकि वहां से एक अलग जुड़ाव है। मैथिली ठाकुर का जन्म बिहार के मधुबनी जिले में बेनीपट्टी में हुआ था। वे एक मैथिल संगीतकार और संगीत शिक्षक रमेश ठाकुर और भारती ठाकुर की बेटी हैं।

वर्तमान में बिहार विधानसभा में बेनीपट्टी का प्रतिनिधित्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा कर रहे हैं। अड़सठ साल के झा ने 2020 में ब्राह्मण बाहुल्य वाली इस सीट पर कांग्रेस की भावना झा को तीस हजार से भी अधिक मतों से हराया था।

बिहार विधानसभा के चुनाव से ही जुड़े एक अन्य सवाल पर मैथिली ने कहा कि वे देश के विकास के लिए, हरसंभव योगदान देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि तावड़े और राय से हुई मुलाकात के दौरान बिहार के भविष्य को लेकर उनकी बहुत सारी बातें हुईं।

मैथिली ठाकुर इसी साल जुलाई में 25 साल की हुई हैं। साल 2011 में महज 11 साल की उम्र में मैथिली ने गीत-संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और तब से वे इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।

लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने कहा कि “यह बहुत अलग समस्या रही है। मैंने उतना महसूस इनडायरेक्टली किया है, मेरे पिता जी ने डायरेक्टली। मेरे पिता जी के साथ के बैच के, उस उम्र के साथ के जो लोग होंगे उन्होंने देखा है ये, फेस किया है। बाकी उनके बच्चे होने के नाते हमने देखा कि हमें जीरो से सब कुछ शुरू करना पड़ा। गांव में सब कुछ होते हुए भी एक ऐसी जीवन, एक ऐसी जर्नी बनानी पड़ी जो हम डिजर्व नहीं करते थे, बिहार का बच्चा कोई ये नहीं चाहेगा कि एक दूसरे राज्य में जाकर जहां उसका सब मजाक उड़ा रहे हों, तुम बिहारी हो या फिर उसकी बोली का मजाक उड़ा रहे हों, ये कहीं न कहीं एक पूरा लूप चला है, ये सबके लिए बहुत ट्रॉम्टाइजिंग था।

लेकिन वापस मैं वापस, घरवापसी, इतनी बार में वापस घर बोल रही हूं कि मुझे वापस घर जाना है और कहीं न कहीं मेरे मन में है कि अपने क्षेत्र की सेवा करनी है, सिर्फ अपने बारे में नहीं सोचना है अब कि मेरी जर्नी अच्छी होनी चाहिए, मैं कलाकार हूं, वैसे ही रहना है उसमें, वर्ना लोग मुझे क्या बोलेंगे ऐसे। अभी मैं बहुत बड़ा और बहुत अलग पिक्चर सोच रही हूं कि जो प्यार, जो सम्मान मुझे मेरे क्षेत्र के लोगों ने दिया है, अब वो मुझे पेबैक करने का समय है, अब मैं वाकई में उनके लिए कुछ करना चाहती हूं, सिर्फ बोल के नहीं होगा, मुझे करना है।”

 

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