Bihar election: बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति की डोर थामेंगे बेरोजगारी और पलायन जैसे बड़े मुद्दे

Bihar election: इस साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पलायन और बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बनकर उभर रही है। दिल्ली में रहने वाले बिहार के प्रवासियों का कहना है कि वह अपना गृह राज्य छोड़ने के लिए इसलिए मजबूर हुए क्योंकि वहां उनके बच्चों के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं है, इसके अलावा उद्योगों और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी अभाव है।

दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी नित्यानंद ने बताया कि “मुद्दा यही है सर कि हम लोग जहां पर भी रहते हैं, वहां के नेता लोग कहते हैं कि बिहारी हमारे यहां आके बैठ गए हैं। तो हमारे बिहार में रोजगार क्यों नहीं होता कि हम वहां पे जाके रोजगार करें? हमारा मेन मुद्दा यही है।”

मुरलीधर झा, दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी “मेन बात है कि दिल्ली में रहने का कारण ये है कि एक तो वहां पे बेरोजगारी है। दूसरा वहां का शिक्षा बिल्कुल गिरा हुआ है। शिक्षा में तो कोई ध्यान ही नहीं देता है, बिल्कुल। चाहे कोई भी पार्टी आए, जाए, इससे कोई लेना-देना नहीं है। शिक्षा का स्तर बिल्कुल खत्म हो चुका है। इन दो कारणों से आदमी यहां रह रहा है। एक तो वहां पे रोजगार नहीं है। दूसरा, बच्चे का शिक्षा नहीं मिल पाता है।”

बिहार के लोगों का कहना है कि यदि सरकारें रोजगार, औद्योगिक विकास और बेहतर शिक्षा पर ध्यान दे तो वे कभी भी अपना घर नहीं छोड़ेंगे। दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी सुमन कुमार ने बताया कि “ऐसा है, मुद्दा बहुत ज्यादे है, लेकिन मेन मुद्दा है वहां पे स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी। अगर तीनों वहां पे सुधर जाएं, तो शायद ही कोई बिहारी वहां से पलायन करेगा।”

दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी उपेंद्र पासवान ने कहा कि “लेबर क्लास के आदमी को बिहार में कंपनी दे, जो अपना देश-घर पकड़ें और वहां रोजगार दें, शिक्षा दें बाल-बच्चे को। यही चाहते हैं कि अपना घर पर रहें। आराम से फैमिली के साथ रहना चाहते हैं।” विपक्ष के नेताओं का कहना है कि राज्य में बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है जिसे चुनाव में वे पुरजोर तरीके से उठाएंगे

वहीं बीजेपी ने विपक्ष पर सत्ता में रहने के दौरान राज्य के विकास की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा कि उनका ध्यान सभी के विकास पर है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण ने कहा कि “कच्चे जलावन से खाना बनाती थी, धुआं से आंख लाल हो जाए। पसीना-पसीना हो जाए। अधपका भोजन खाए। बढ़िया से भोजन भी नहीं खाए। उस बिहार को किसने देखा था और कौन इस बिहार के लिए जिम्मेदार था? वही ना, जो आज बिहार में जुलूस निकाल रहे हैं। उन्हीं के पूर्वजों की सरकार थी।”

बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास का दावा है कि उसके पास पलायन और बेरोजगारी के मुद्दों को हल करने के लिए स्पष्ट एजेंडा है और वह इसे अमल में लाने के लिए केवल सही अवसर की प्रतीक्षा कर रही है, फिलहाल जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बिहार में राजनीति पलायन और बेरोजगारी के मुद्दे पर गरमाती जा रही है।

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