Bihar: बिहार के बोधगया में तितलियों का पार्क है, यहां तरह-तरह की तितलियां पाली जाती हैं और उनपर शोध किया जाता है। ये पार्क गया वन प्रभाग में पड़ता है, ये जिले में अपनी तरह का पहला पार्क है। इसे बिहार पर्यावरण मंत्रालय ने बनवाया है, पार्क में लोगों को तितलियों के पूरे जीवन चक्र के बारे में जानकारी मिल सकती है। यहां तितलियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियां और उनसे जुड़े किस्से-कहानियां भी देखने-सुनने को मिलते हैं।
अधिकारी पार्क में मौजूदा तितलियों की आबादी बढ़ाने और नई किस्में लाने की कोशिश कर रहे हैं। बटरफ्लाई लैब रियरिंग सेंटर लैब असिस्टेंट अशोक कुमार ने कहा कि “इस गार्डन में अभी तक हमें 92 प्रजाति का बटरफ्लाई हमें देखने को मिले हैं। जो कुछ कॉमन बटरफ्लाई होते हैं, कुछ अनकॉमन बटरफ्लाई होते हैं, कुछ रेयर बटरफ्लाई होते हैं। ये रेयर बटरफ्लाई की बात करें तो हर देश में हर तरह-तरह की बटरफ्लाई देखने को मिलती है। ये डिपेंट करती है क्षेत्र पर कि किस क्षेत्र में कौन-कौन से बटरफ्लाई ज्यादा देखने को मिलेगी। अगर हम बिहार क्षेत्र की बात करें बोधगया क्षेत्र की बात करें तो यहां पर आपको कम से कम 92 प्रजाति के बटरफ्लाई आपको देखने के लिए मिली है। हमारी कोशिश और जारी है कि हम और ज्यादा बढ़ाए। ताकि और तरह तरह की बटरफ्लाई आपको देखने को मिले।”
इसके साथ ही कहा कि “इस बटरफ्लाई गार्डन में एक बटरफ्लाई का नाम है कॉमन क्रो बटरफ्लाई। इसको भगवान बुद्ध से रिलेटेड मान्या दी गई है।जैसे हम कह सकते हैं कि किसी भी जीव जन्तु की प्राणी की हत्या हम नहीं कर सकते हैं जिस तरीके से भगवान बुद्ध ने हमें बताया तो उस हिसाब से आप पीपल ट्री के बारे में जानते होंगे उस पीपल ट्री पर अपनी लाइफ साइकिल पूरी करते हैं। जब वो एडल्ट बन जाते हैं जव वो बटरफ्लाई बन जाती है तो जो पीपल ट्री के सीड जो गिरते हैं उसी पर वो नेकिंग प्रॉसिस करके अपना भोजन प्राप्त करके अपना सर्वाइव करते हैं।”