Bihar: बिहार में छठ पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हों की भारी मांग होती है, इन दिनों राजधानी पटना में मुस्लिम महिलाएं मांग पूरी करने में जुटी हैं, छठ का प्रसाद मिट्टी के चूल्हों पर तैयार किया जाता है। मिट्टी के चूल्हों का इस्तेमाल करने की परंपरा पुरानी है, महिला कारीगर इस पारंपरिक हुनर में उस्ताद हैं।
कारीगर मिट्टी के चूल्हे बीयर चंद पटेल पथ के पास बेच रहे हैं। चूल्हे बनाते समय भी खरीदारों की धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाता है। महिलाएं काम शुरू करने से पहले बाकायदा नहाती हैं और साफ कपड़े पहनती हैं। चूल्हे बनाते समय उनके खान-पान का अनुशासन भी तय होता है।
पटना की महिला कारीगर छठ से पहले सांप्रदायिक भाईचारे की मिसाल कायम कर रही हैं। छठ मूल रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश का पारंपरिक त्योहार है, चार दिन चलने वाला त्योहार इस साल पांच नवंबर से शुरू हो रहा है।
कारीगरों का कहना है कि “चूल्हा पहले मेरी अम्मा बनाती थी, मेरा भाई बनाने लगा। उसके बाद उन लोग उजड़ गए तो हम लोग बनाने लगे। चूल्हा 30-35 से साल से बना रहे हैं, समझ गए। आज नया पर चूल्हा नहीं बना रहे हैं मुस्लिम कि आज नया है। बाजार में हम लोग केतारि बचते थे, भाई मेरा बेचता था समिति में। समिति में देखा कि चार-पांच गो चूल्हा बना हुए बिकते मेरा। मेरे मां के हाथ में कारीगर था। ”
“मिट्टी से बनाते हैं। भूसा लाते हैं, मिट्टी लाते हैं। मिट्टी ट्रैक्टर से गिरवाते हैं। भूसा खरीदकर लाते हैं और तब उसको मिक्स करके, पानी से फुलाकर, मिक्स करके तब इसको बनाते हैं। एक चूल्हा बनाने में दो दिन का समय लग जाता है। साफ-सफाइ के बारे में बात हम से मत करिए। हम लोग साफ-सफाई हमेशा रखते हैं और साफ-सफाई से काम भी करते हैं। हम जानते हैं कि कितना नेम से पर्व होता है, इसमें हर चीज का ख्याल रखा जाता है।”