Bihar: बिहार में भागलपुर के दुकानदार भी बताते हैं कि त्योहार के सीजन में रेशमी और सूती साड़ियों की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है, हालांकि बुनकर इससे बहुत ज्यादा खुश नहीं है। वो बताते हैं कि त्योहार के सीजन में ही कमाई हो पाती है, जबकि आम दिनों में काम काज लगभग ठप रहता है।
ऐसे में भागलपुर के बुनकर सरकार से मदद की दरकार कर रहे हैं, वह चाहते हैं कि सरकारी पारंपरिक रेशमी साड़ियों की कारीगरी और इस उद्योग को दोबारा से खड़ा करने के लिए कम दर पर कच्चा माल मुहैया कराने के लिए मदद करे।
व्यापारियों का कहना है कि “दुर्गा के लिए आपका कॉटन हुआ, सिल्क में आपको जो भी सारा क्वालिटी बनता है इस समय बहुत डिमांड है और मार्केट भी बढ़िया है।” बुनकर संघर्ष समिति के अध्यक्ष इत्तहाज अंसारी का कहना है कि “हल्का फुल्का मार्केटिंग है, बाजार है। एकदम हल्का। नहीं चल रहा भाई। वो बुनकर इसको जितना होना चाहिए, वो उतना जितना इसके पास काम रहना चाहिए वो नहीं है। हल्का फुल्का जो कि भारतीय अपने स्वदेशी लोगों की देखभाल की वजह से बस कुछ हल्का फुल्का है। बाकी सब कुछ नहीं है और क्या होगा आगे? बहुत निराश होकर और हताश होकर बुनकर अपनी जिंदगी जी रहा है, दो वक्त की रोटी जुटाना इसको बहुत मुश्किल हो गया है।”
बुनकरों का कहना है कि “दुर्गा पूजा में साड़ी पंसद किया जाता है ये फेस्टिवल ही जो साड़ियों के लिए है। लेकिन ऐसा होता है कि बुनकर दे नहीं पा रहे, मतलब जिस रेट में कस्टमर को चाहिए वो संभव नहीं हो पा रहा है। क्योंकि कच्चा माल जो आता है उसकी जो कॉस्ट है बुनकर वो उसे बना नहीं पाता है। मार्केट में जब डिमांड होती है तो जरूरी है कि सस्ता माल आएगा तो बेहतर प्रोडक्ट बनेंगे और कस्टमर तक बेचेंगे। लेकिन सस्सा प्रोडक्ट कच्चा माल न आ पाने के कारण बना नहीं पा रहे हैं बुनकर और मार्केट में सेल नहीं हो पा रहा है।”
इसके साथ ही कहा कि हथकरघा से रेशमी साड़ी बनाने वाले बुनकरों का समय के साथ काम करने का तरीका बदल गया है, अब वो मशीन से रेशमी साड़ियां बना रहे हैं। दुर्गा पूजा और त्योहार के वक्त इन साड़ियों की काफी डिमांड रहती है।