Bihar: आजादी के सात दशक बाद भी गया के कई गांवों को पक्की सड़कों और पुल का इंतजार

Bihar: देश को आजाद हुए सात दशक से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, लेकिन बिहार के गया जिले के कुछ गांव अब तक पक्की सड़कें और पुल न होने की वजह से राज्य के बाकी हिस्सों से कटे हुए हैं, मानसून के सीजन में हालात ज्यादा खराब हो जाते है क्योंकि इलाके की उफनती नदियों की वजह से लोग महीनों तक पानी में फंसे रहते हैं।

गया जिले के इमामगंज सब-डिवीजन के हेरेज और पथरा जैसे गांव में हाल सबसे बुरा है। पुल न होने की वजह से मानसून के दौरान नदियों में पानी बढ़ने से लोगों का उन्हें पार करना बेहद मुश्किल होता है, गांव वालों के मुताबिक हालात बेहद गंभीर हैं क्योंकि मरीज इलाज के लिए बाहर नहीं जा पा रहे हैं, उनका दावा है कि वक्त पर इलाज न मिलने की वजह से कई लोगों की जान चली गई है।

कई गांव वालों का कहना है कि खराब रोड कनेक्टिविटी की वजह से युवा आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, गांव वालों का दावा है कि इलाके के नेताओं से बार-बार गुजारिश करने के बावजूद पुल की उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। गांव वालों के मुताबिक वे जिले में बुनियादी ढांचे के विकास के बारे में लगातार सुनते आ रहे हैं लेकिन उन्हें अब भी अपने इलाके में नदी पर पुल बनने का इंतजार है, वह उम्मीद लगाए हैं कि उनका ये इंतजार जल्द खत्म होगा और उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो सकेगी।

गया निवासियों का कहना है कि “झारखंड और बिहार के थलैया पंचायत के अंतर्गत तीन गांव आता है, जो दर्शाता है कि किस स्थिति में यहां की पब्लिक रहती है। जो स्थिति है उसके देखते हुए मैं सरकार से मांग करता हूं कि यहां पूल का निर्माण किया जाए ताकि जनता जो सुविधा से वंचित हैं उन्हें सुविधा मिल सके।”

इसके साथ ही कहा कि “इस गांव का भी स्थिति बहुत खराब है। हम एक शिक्षित हैं, इंटर पास हैं। किसी तरह से हम बाहर में रहकर पढ़ चुके हैं। यहां के लोग जो हैं वो ऐसे नहीं पढ़ पाते। जो यहां सक्षम है कि बाहर जाकर पढ़ा सके, वो ही पढ़ सकता है। अन्यथा यहां पर शिक्षित नहीं के बराबर हैं। हम लोगों को आने-जाने में बहुत परेशानी होता है। इसलिए पढ़ नहीं पाता। यहां के सांसद, विधायक, इन सबसे कह चुके, सुनने से इनकार है, यहां आने को इनकार है। जब चुनाव आता है तो यहां आता है, पूल बनाता है। फिर लौटकर नहीं आता है कि ये गांव कैसा था। आने-जाने में बहुत परेशानी होता है, समस्या बहुत खड़ा होता है। कोई काम यहां पर नहीं होता।”

लोगों का कहना है कि “बरसात के सीजन में यहां किसी का तबीयत खराब हो जाता है। इसको यहां से ले जाने में, मानकर चलिए कि। कितना आदमी का तो डेथ हो गया है जाने से। कितनी गर्भवती महिला थी जो मर गई। एक महिला का साप काट गया, नहीं जा पाई, वो भी मर गई। हर साल एक-दो आदमी का यहां मौत होता है। गर्मी के मौसम में यहां सूखा होता है, जो पानी के लिए लोग तरसते हैं और बरसात के मौसम में पहाड़ी क्षेत्र है। इसके चलते नदी आ जाता, जो हर समय यहां कोई न कोई दुर्घटना घटते रहता है। कोई बीमार पढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में यहां एक नहीं दर्जनों मौत हो चुका है। यहां का दुख देखकर लगता है कि यहां करें। इसका कारण है पुलिया। नदी पर पूल बन जाता तो राहत यहां के लोगों को मिल जाता।”

 

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