Corbett Park: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से इस सर्द मौसम में पर्यटकों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है, कॉर्बेट प्रशासन ने हाथी सफारी को शुरू कर दिया है, वर्षों से बंद पड़ी हाथी सफारी को आखिरकार फिर से शुरू कर दिया गया,चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, देहरादून की ओर से आदेश जारी होने के बाद देश-विदेश के पर्यटकों का रोमांच हाथी सफारी से ओर भी बढ़ जाएगा।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, दुनिया भर में अपनी जैव विविधता, रॉयल बंगाल टाइगर और रोमांचक जंगल सफारी के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में हाथी सफारी की बहाली इस पार्क की पर्यटन गतिविधियों में एक बड़ा बदलाव साबित होगी। स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की जून 2024 में हुई बैठक में इसके लिए हरी झंडी दी गई थी। जिसके बाद विभागीय औपचारिकताओं के पूरा होने पर अब इसे लागू किया गया है।
ढिकाला और बिजरानी जोन में हाथी सफारी शुरू कर दी गयी है,
हाथी सफारी ढिकाला और बिजरानी, दोनों प्रमुख जोन में शुरू की गई है, दोनों जगह सुबह और शाम की शिफ्ट में हाथी सफारी कराई जा रही है,ढिकाला में 2 हाथियों से सफारी कराई जा रही है और पर्यटकों के लिए दो रूट निर्धारित किए गए हैं। इन रूटों पर सफारी के दौरान पर्यटक रामगंगा नदी, घने जंगल, विशाल ग्रासलैंड और कई वन्यजीवों का बेहद नजदीकी अनुभव ले रहे है। कॉर्बेट का यह जोन हमेशा से ही सबसे आकर्षक रहा है। ऐसे में हाथी सफारी यहां पर्यटन अनुभव को और रोमांचक बना रहा है,
वहीं बिजरानी जोन में 1 हाथी के माध्यम से 2 रूट में हाथी सफारी कराई जा रही है, यहां भी दो घंटे की सफारी कराई जा रही है,जिसमें पर्यटक जंगल की खूबसूरती, वन्यजीवों की गतिविधियां और प्राकृतिक आवास का करीब से साक्षात्कार कर सकेंगे। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन बिंदर पाल सिंग ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में भी हाथी सफारी शुरू कर दी गयी है, हाथी सफारी के टिकट पार्क के रिसेप्शन सेंटर से उपलब्ध होंगे। टिकट वितरण पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय पर्यटकों के लिए ₹1000 प्रति व्यक्ति जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए ₹3000 प्रति व्यक्ति शुल्क तय किया गया है। एक हाथी में अधिकतम बच्चों के साथ 5 लोग बैठ सकते हैं।
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टिकट शुल्क नहीं,सफारी की अवधि 2 घंटे निर्धारित की गई है।
गौर हो कि हाथी सफारी की बहाली क्यों है खास? हाथी सफारी को बंद हुए लगभग 6 साल हो चुके थे। वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत पार्क में हाथियों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगा दी थी। उसी आदेश के बाद हाथी सफारी पूरी तरह बंद कर दी गई थी। तब से स्थानीय पर्यटन कारोबारियों, गाइडों, महावतों और वन्यजीव प्रेमियों की ओर से लगातार मांग उठाई जा रही थी कि हाथी सफारी को संवेदनशील और सुरक्षित तरीके से फिर शुरू किया जाए।
जिस क्रम में पिछले माह स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड और विभागीय अधिकारियों ने नियमों और सुरक्षा प्रावधानों के साथ इसे फिर से शुरू करने की अनुमति दी है, तो स्थानीय समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है।