Delhi: देश की राजधानी दिल्ली सोमवार को घने कोहरे की चादर में लिपटी रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 498 पर पहुंच गया, जो इसे ‘गंभीर’ श्रेणी के ऊपर रखता है। बीते रविवार को दिल्ली में एक्यूआई 461 तक पहुंच गया था, जो इस सर्दी में शहर का सबसे प्रदूषित दिन था और दिसंबर में वायु गुणवत्ता के मामले में दूसरा सबसे खराब दिन था। कमजोर हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषण के तत्व सतह के करीब ही फंसे रहे।
दिल्ली में कई लोग खतरनाक हवा से कुछ हद तक बचाव की उम्मीद में मास्क पहनकर घरों से बाहर निकले। भारी कोहरे ने वायु गुणवत्ता को और खराब कर दिया, जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में विजिबिलटी कम हो गई और कई जगहों पर सड़क हादसे भी हुए। कई लोगों ने कहा कि उन्होंने हाल ही में मास्क पहनना शुरू किया है और सरकार से इस मुद्दे पर और अधिक ध्यान देने की अपील की है।
दिल्ली के रहने वाले कई लोगों ने बताया कि उन्हें सांस लेने में लगातार तकलीफ हो रही है। कुछ लोगों ने सरकार से घर से काम करने या ऑनलाइन पढ़ाई के विकल्प शुरू करने की अपील की, जबकि अन्य ने कहा कि बिगड़ती वायु गुणवत्ता के लिए दिल्ली के लोग भी जिम्मेदार हैं। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों को घरों में रहने की सलाह दी है जब तक कि बाहर निकलना बेहद जरूरी न हो। उन्होंने बुजुर्गों और कमजोर लोगों को बाहर निकलते समय मास्क पहनने और खुद को सुरक्षित रखने के लिए डॉक्टरों के द्वारा बताए टीके लगवाने की भी सलाह दी है।
दिल्ली घूमने आए पर्यटकों ने कहा कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण उनकी यात्रा बेकार हो गई है। न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बल्कि इसलिए भी कि धुंध के कारण दिल्ली की मशहूर जगहों पर विजिबिलटी बेहद कम हो गई है। वायु गुणवत्ता की शुरूआती चेतावनी प्रणाली के मुताबिक अगले छह दिनों तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ या ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी में रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने बताया कि हवा की मौजूदा गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से कम है, जो प्रदूषकों के फैलाव के लिए अनुकूल नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते वायु प्रदूषण पर एक याचिका की सुनवाई 17 दिसंबर को तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की जाएगी। इससे पहले पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के खिलाफ याचिका को केवल सर्दियों के महीनों में सूचीबद्ध किए जाने वाले “सामान्य” मामले के रूप में नहीं माना जा सकता। पीठ ने कहा था कि इस समस्या के अल्पकालिक और लंबे समय के समाधान को खोजने के लिए महीने में दो बार इस मामले की सुनवाई की जाएगी।