Ramnagar: रामनगर में नेपाल के प्रसिद्ध शुक्लाफाँटा राष्ट्रीय उद्यान से 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के दौरे पर पहुँचा,इस दल का नेतृत्व नेपाल के वाइल्डलाइफ वार्डन चंद्रशेखर चौधरी ने किया,प्रतिनिधिमंडल में नेपाल सरकार के अधिकारी, स्थानीय गांवों से जुड़े पर्यटन क्षेत्र के लोग, प्राइवेट टूरिज्म सेक्टर के प्रतिनिधि, कंजरवेशन पार्टनर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स शामिल रहे।
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत के कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व और नेपाल के शुक्लाफाँटा राष्ट्रीय उद्यान के बीच इको-टूरिज्म को जोड़ना और दोनों पार्कों के पर्यटन मॉडल को साझा करना रहा, इस कड़ी में नेपाल के प्रतिनिधिमंडल ने कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला और अन्य वरिष्ठ वन अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की।
नेपाल के वाइल्डलाइफ वार्डन चंद्रशेखर चौधरी ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि शुक्लाफाँटा और कॉर्बेट के बीच टूरिज्म को किस तरह से लिंक किया जाए, ताकि भारतीय पर्यटक बड़ी संख्या में नेपाल के शुक्लाफाँटा नेशनल पार्क तक भी पहुँच सकें। उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने कॉर्बेट पार्क के जंगलों, वन्यजीवों और पर्यटन व्यवस्थाओं की जानकारी ली, जिसके बाद उन्होंने कॉर्बेट प्रशासन को शुक्लाफाँटा पार्क की विशेषताओं से भी अवगत कराया।
चंद्रशेखर चौधरी ने बताया कि शुक्लाफाँटा नेशनल पार्क बायोडायवर्सिटी के मामले में बेहद समृद्ध है, लेकिन इसके बावजूद वहां पर्यटन अपेक्षित स्तर पर नहीं बढ़ पाया है। उन्होंने कहा कि शुक्लाफाँटा में वर्तमान में 36 टाइगर दर्ज हैं, जबकि एनुअल रिपोर्ट में यह संख्या 44 तक पहुंचने की बात सामने आई है।
इसके अलावा वहां 100 से अधिक हाथी मौजूद हैं। साथ ही शुक्लाफाँटा की पहचान उसका आइकॉनिक स्पीशीज़ – स्वांग हिरण भी है।
इसके बावजूद वहां पर्यटन सीमित है, जबकि कॉर्बेट में कैरिंग कैपेसिटी से भी अधिक पर्यटक पार्क भ्रमण पर पहुंच रहे हैं,ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यहाँ किस तरीके से पर्यटन गतिविधियां चलाई जाती है,साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को नेपाल की ओर कैसे आकर्षित किया जाए, ताकि शुक्लाफाँटा में भी पर्यटन और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
वहीं इस अवसर पर कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा कि नेपाल के शुक्लाफाँटा नेशनल पार्क से आए अधिकारी और स्टेकहोल्डर्स कॉर्बेट का इको-टूरिज्म मॉडल समझने के लिए यहाँ आए हैं, उन्होंने बताया कि नेपाल का दल यह जानने में रुचि दिखा रहा है कि कॉर्बेट में पर्यटकों को जंगल भ्रमण के दौरान किस तरह से ब्रीफिंग दी जाती है, नेचर गाइड्स को किस तरह से प्रशिक्षण दिया जाता है और जिप्सी ऑपरेटर किस तरह से संचालन करते हैं।
डॉ. बडोला ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व देश में इको-टूरिज़्म के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है, इसलिए नेपाल का यह दल यहां आकर व्यवस्थाओं को समझने और अपने यहां लागू करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे आपसी सहयोग से दोनों देशों के नेशनल पार्कों के बीच पर्यटन, संरक्षण और स्थानीय रोजगार को नई दिशा मिलेगी।