Parliament: देशभर के राजभवनों का नाम ‘लोक भवन’ करने संबंधी गृह मंत्रालय के 25 नवम्बर के निर्देश का मुद्दा राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सदस्य डोला सेन द्वारा उठाए जाने के बाद सदन में तीखी नोकझोंक हुई।
शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए बांग्ला में डोला सेन ने कहा, ‘‘सबसे पहले हम यह कहना चाहते हैं कि न तो संसद, विधानसभा और न ही मंत्रिमंडल को इसकी जानकारी है…। और तो और महोदय, वे आपसे भी इस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं।’’ अपनी बात रखने के दौरान डोला सेन ने मनरेगा सहित अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया। तब सभापति ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदस्य अपने मूल विषय पर ही बोलें और विषय से अलग बातें रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनेंगी।
सदन के नेता जे पी नड्डा ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘आपने उन्हें शून्यकाल में राजभवन का नाम लोक भवन करने के मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी थी। लेकिन उन्होंने मनरेगा और अन्य मुद्दों का जिक्र किया। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि चूंकि यह विषय से संबंधित नहीं है, इसलिए इसे कार्यवाही से हटा दिया जाए और केवल लोक भवन से जुड़ी बातें ही रिकॉर्ड में ली जाएं।’’ सभापति सी पी राधाकृष्णन ने नड्डा से सहमति जताते हुए दोहराया कि ‘‘विषय से हटकर कहा गया कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा’’।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने डोला सेन के समर्थन में कहा, ‘‘उन्होंने कोई भी अपमानजनक शब्द नहीं बोला है। सब कुछ विषय से जुड़ा हुआ है। और यह विषय आपके कार्यालय में जांचने के बाद ही उन्हें बोलने की अनुमति दी गई थी।’’
सरकार पर बहस बाधित करने का आरोप लगाते हुए खरगे ने कहा, ‘‘सदन के नेता हस्तक्षेप कर यह नहीं कह सकते कि जो भी कहा गया है वह अपमानजनक है और उसे हटाया जाए। नेता (सदन के) दबाव डाल रहे हैं। आप संसदीय लोकतंत्र के अनुसार नहीं चलना चाहते।’’
सभापति ने कहा कि कार्यवाही नियमों के अनुसार चल रही है। उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे शून्यकाल के दौरान सूचीबद्ध विषयों पर ही अपनी बात रखें। नड्डा ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘मैंने कभी दबाव नहीं डाला।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी केवल यह मांग थी कि विषय से संबंधित बातें ही रिकॉर्ड पर रहें।