Parliament: राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन ने उच्च सदन में अपने प्रथम संबोधन में सदस्यों से संविधान के प्रति निष्ठावान रहने और संसदीय आचरण की निर्धारित ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि उच्च सदन के पास बहुत विधायी कार्य हैं और समय को लेकर सदस्यों व पीठ दोनों के सामने चुनौती होगी।
राधाकृष्णन ने कहा, “हर कोई — चाहे सभापति हों या सदस्य — हम सभी को राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। भारत का संविधान और राज्यसभा के नियम हमारे संसदीय आचरण की लक्ष्मण रेखा तय करते हैं। हर सदस्य के अधिकारों की रक्षा की जाएगी, लेकिन उस लक्ष्मण रेखा के भीतर ही।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य सदस्यों द्वारा किए गए अभिनंदन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
सभापति ने कहा कि प्रश्नकाल, शून्यकाल और विशेष उल्लेख जैसी संसदीय प्रक्रियाएं प्रत्येक सदस्य को नागरिकों के महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में उठाने का पर्याप्त अवसर प्रदान करती हैं।
उन्होंने आग्रह किया, “हम यह सुनिश्चित करने का संकल्प लें कि इस सदन में हमारे कार्य देश के हर किसान, मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, महिलाओं, युवाओं और समाज के कमजोर तबकों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें। हमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों और अन्य वंचित वर्गों के सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करना है।”