Parliament: सरकार ने आज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए नौ आर्थिक विधेयक सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें बीमा कानूनों में संशोधन संबंधी एक विधेयक और तंबाकू और पान मसाला जैसी हानिकारक वस्तुओं पर कर और उपकर लगाने संबंधी दो अन्य विधेयक शामिल हैं।
इसके अलावा, 2025-26 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों का पहला बैच 1-19 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। आगामी सत्र के लिए संसद सदस्यों को सौंपी गई विधेयकों की सूची के अनुसार, सरकार नई पीढ़ी के वित्तीय सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के लिए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश करने का प्रस्ताव रखती है।
अब तक बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं। इसके अलावा केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं।
यह विधेयक सिगरेट जैसे तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह पर उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखते हैं। ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’, पान मसाला पर लगने वाले क्षतिपूर्ति उपकर का स्थान लेगा। इसका उद्देश्य “राष्ट्रीय सुरक्षा और जन स्वास्थ्य पर सुरक्षा व्यय को पूरा करने के लिए संसाधनों को बढ़ाना और निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्माण या उत्पादन के लिए स्थापित मशीनों या अन्य प्रक्रियाओं पर उक्त उद्देश्यों के लिए उपकर लगाना” है।
वर्तमान में, तंबाकू और पान मसाला पर 28 प्रतिशत की दर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया जाता है। इसके ऊपर विभिन्न दरों पर क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया जाता है।
इसके अलावा, प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक 2025 भी प्रस्तुत किए जाने के लिए सूचीबद्ध है, जो व्यापार सुगमता के लिए एक एकीकृत प्रतिभूति बाजार संहिता सुनिश्चित करेगा। यह विधेयक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992, निक्षेपागार अधिनियम, 1996 और प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 को मिलाकर एक एकीकृत संहिता बनाने का प्रयास है।
पीएम मोदी का संबोधन
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत में मीडिया से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘साथियों शीतकालीन सत्र सिर्फ एक एक प्रथा नहीं हैं, ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र करेगा, ये मेरा विश्वास है। भारत में लोकतंत्र को जिया है, लोकतंत्र के उमंग और उत्साह को समय समय पर ऐसे प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। बीते दिनों बिहार चुनाव में भी मतदान में जो तेजी आई है, वो लोकतंत्र की ताकत है। माता-बहनों की भागीदारी बढ़ना एक नई आशा और विश्वास पैदा कर रहा है। लोकतंत्र की मजबूती और इसके भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है। भारत ने सिद्ध कर दिया है डेमोक्रेसी कैन डिलीवर।’
‘जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाईंयों को प्राप्त कर रही है। विकसित भारत की ओर जाने की दिशा में ये नया विश्वास जगाती है। साथियों ये सत्र संसद देश के लिए क्या सोचती है, क्या करना चाहती है और क्या कर रही है, ये दिखाती है। विपक्ष भी पराजय की निराशा से बाहर निकलकर सार्थक चर्चा करे। दुर्भाग्य से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पराजय भी नहीं पचा पाते। लेकिन मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। बहुत ही जिम्मेदारी के साथ देश की जनता की जो हमसे अपेक्षा है, उसे संभालते हुए आगे के बारे में सोचें। जो है उसे कैसे अच्छा कैसे करें और जो बुरा है, उसके बारे में सटीक टिप्पणी कैसे करें, ये मेहनत का काम है, लेकिन देश के लिए करना चाहिए।’
संसद सत्र से पहले कांग्रेस की बैठक
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस पार्टी की बैठक शुरू हो गई है। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दफ्तर में हो रही है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने संसद के शीतकालीन सत्र पर कहा, ‘अगर ये संसद सबकी है तो विपक्ष लगातार पिछले बार हर रोज SIR पर चर्चा की मांग कर रहा था तो चर्चा के लिए ही तो संसद है तो चर्चा करे, हम चर्चा न करे तो क्या हम संसद में बैठने जाते हैं या बैठकर चर्चा करने जाते हैं।’