Shaikh Hasina: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने “इंसानियत के खिलाफ जुर्म” केा दोषी ठहराते हुए उनकी गैर-मौजूदगी में मौत की सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें पिछले साल छात्रों की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन कुचलने के लिए क्रूर कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक कार्रवाई में करीब एक हजार चार सौ लोगों की जान चली गई थी।
फिलहाल शेख हसीना राजनीतिक शरण लेकर भारत में हैं। बांग्लादेश ने उनके प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया है। इसपर भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है, “भारत बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में सभी हितधारकों के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से बातचीत करेगा।” फैसले वाले दिन, हसीना के घर के बाहर भारी भीड़ थी। कुछ लोग बुलडोजर लेकर पहुंचे और उनके घर को गिराने की कसम खाने लगे। फैसले के बाद लोग जश्न मनाते और हसीना विरोधी नारे लगाते देखे गए।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील संजय हेगड़े ने बताया, “बांग्लादेश ने उन पर और उनके गृह मंत्री पर उनकी गैरमौजूदगी में मुकदमा चलाने का फैसला किया है और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। ये भी महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश में जल्द चुनाव होने वाले हैं। इससे शेख हसीना के चुनाव लड़ने की संभावना भी खत्म हो सकती है। मौत की सजा उन्हें किसी भी दूसरे देश में जाने पर रोक सकती है।”
आगे उन्होंने कहा, “उसके पास विकल्प कम हैं। मुद्दा ये है कि अगर वो बांग्लादेश की किसी अदालत में इस फैसले को चुनौती देना चाहें, तो वहां की अदालतें उसके बांग्लादेश में आत्मसमर्पण करने पर जोर देंगी। ऐसा नहीं है कि फैसले को उसकी गैरमौजूदगी में, भारत या कहीं और बैठकर चुनौती दी जा सकती है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि उसके पास ये कानूनी विकल्प हैं। बेशक, अगर भारत सरकार किसी भी कारण से उन्हें प्रत्यर्पित करने का फैसला करती है, तो वे इस फैसले के खिलाफ भारतीय अदालतों में चुनौती दे सकती हैं, जो कि एक संभावना है। हालांकि ये मेरे विचार से बहुत दूर की बात है।”