Sheikh Hasina: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी करार दिया गया है। विशेष न्यायाधिकरण ने पूर्व पीएम को सभी पांचों मामलों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
बांग्लादेश के ‘अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण’ ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल मामून के खिलाफ मामलों की सुनवाई पूरी कर सजा का एलान किया। अदालत के फैसले को लेकर बांग्लादेश में तनाव का माहौल है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने बंद का एलान किया है।
अब इस मामले में शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। शेख हसीना ने न्यायाधिकरण के फैसले को पक्षपाती और राजनीति से प्ररित बताया है। बता दें कि शेख हसीना को पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में आरोपी बनाया गया है। मामले में सरकारी अभियोजकों ने मृत्युदंड की अपील थी।
न्यायाधिकरण के फैसले को लेकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मेरे खिलाफ सुनाए गए फैसले एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए हैं, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।
बता दें कि कि शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के बीच भड़की हिंसा देखते ही देखते उग्र हो गई थी। इसका असर यह रहा कि हसीना को एक सैन्य हेलीकॉप्टर के जरिए बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा। दूसरी तरफ बांग्लादेश की सेना ने देश में जल्द से जल्द शांति स्थापित करने और अंतरिम सरकार का गठन करवाने पर जोर दिया।
शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं और वे ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करतीं। आईसीटी के फैसले से पहले अपने समर्थकों को जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। हसीना ने कहा था कि यह इतना भी आसान नहीं है। आवामी लीग जमीन से उठी पार्टी है
शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया
न्यायाधिकरण के फैसले को लेकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मेरे खिलाफ सुनाए गए फैसले एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए हैं, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। वे पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित हैं। शेख हसीना ने कहा कि आईसीटी में कुछ भी अंतरराष्ट्रीय नहीं है; न ही यह किसी भी तरह से निष्पक्ष है। उनका दावा है कि न्यायाधिकरण ने केवल अवामी लीग के सदस्यों पर मुकदमा चलाया है, जबकि कथित तौर पर राजनीतिक विरोधियों द्वारा की गई हिंसा को नजरअंदाज किया है।