Delhi: इंडिया इंटरनेशन सेंटर, लोधी रोड न्यू देहली में आयोजित एक भव्य और ऐतिहासिक समारोह में एडिटर्स क्लब ऑफ़ इंडिया की नवगठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने शपथ ग्रहण के इस अवसर पर मीडिया के इतिहास में उस सामूहिक संकल्प का प्रतीक बना, जिससे देशभर के संपादको ने पत्रकारिता की साख, स्वायत्तता और जिम्मेदारी को पुन स्थापित करने का दृढ़ निश्चय किया गया।
पत्रकारिता की गरिमा, साहस और मर्यादा को स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल इस अवसर पर जारी संदेश सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं था, यह उस गहरी चिंता, उस नैतिक प्रतिबद्धता और उस पत्रकारिता की आत्मा का प्रतिनिधित्व था जिसकी रक्षा के लिए यह संगठन बना है।
आज देश के संपादकों, पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को यह संदेश दिया गया कि संपादक सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि लोकतंत्र का संरक्षक है, और उसके अधिकार, सुरक्षा, स्वतंत्रता और गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना समय की माँग है। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जो सत्य और ज्ञान की शाश्वत ज्योति का प्रतीक था।
अध्यक्ष अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा “संपादक ही वह दीपक है जो अंधकार के बावजूद रास्ता दिखाता है।” अध्यक्ष अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा “एडिटर्स क्लब ऑफ़ इंडिया कोई संगठन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, सच्चाई, सवेदनशीलता का आंदोलन” अपने गहन और विचार पूर्ण वक्तव्य में कहा कि भारतीय पत्रकारिता राजनीतिक, तकनीकी और व्यावसायिक दबावों के ऐसे दौर से गुजर रही है, जिसमें संपादक की भूमिका और ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, “आज जब सूचना के स्रोत अनगिनत हैं, भ्रम की संभावनाएँ भी उतनी ही तेज़ी से बढ़ रही हैं। ऐसे समय में संपादक सिर्फ खबर का संरक्षक नहीं, बल्कि सत्य का प्रहरी है।” अमिताभ अग्निहोत्री ने इस बात पर बल दिया कि एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया संपादकों के हितों, सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए एक मजबूत, तटस्थ और विश्वसनीय मंच बनकर उभरेगा।
उन्होंने कहा—
• संगठन पत्रकारिता की नैतिक रेखा को मजबूत करेगा।
• संपादक की भूमिका को पुनर्परिभाषित करेगा।
• मीडिया मेंविश्वसनीयता बहाल करनेके लिए राष्ट्रीय स्तर पर संवाद बढ़ाएगा।
• संपादकों को तकनीकी और कानूनी चुनौतियों से निपटने में सहयोग देगा।
उनका संदेश संयमित था, पर गहरा, “हम किसी सत्ता या किसी संस्था से संघर्ष करने नहीं आए हम पत्रकारिता के भविष्य को सुरक्षित करने आए हैं।” इसी के साथ अग्निहोत्री अग्निहोत्री ने एडिटर्स ऑफ़ इंडिया की 32 सदस्यों को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की टीम में सम्मिलित करते हुए 10 सदस्यों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति घोषित करते हुए शपथ कराई।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष- संजय गिरी
महासचिव – डॉ सुनील कौशिक
कोषाध्यक्ष- सतेंद्र भाटी
संगठन मंत्री- नरेश वशिष्ठ
उपाध्यक्ष- अरविन्द सिंह
उपाध्यक्ष- आलोक कुमार द्विवेदी
सह सचिव- पूर्णिमा मिश्रा
सह सचिव – आशीष कुमार ध्यानी
एनआरआई & अंतराष्ट्रीय समन्वयक – डॉ चन्द्रसेन वर्मा
आईटी & डिजिटल संचार प्रमुख – संजय नारायण सिंह
वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय गिरी ने कहा “विश्वसनीयता ही पत्रकारिता की सबसेबड़ी पूँजी है।” संजय गिरी ने कहा कि आज का मीडिया वातावरण परिवर्तन के तीव्र दौर से गुजर रहा है। डिजिटल मीडिया के विस्फोट, फेक न्यूज़ के बढ़ते जोखिम, राजनीतिक ध्रुवीकरण और विज्ञापन दबाव ने संपादक के कार्य को चुनौती पूर्ण बनाया है।
उन्होंने कहा, “हर युग में पत्रकारिता की परीक्षा हुई है, पर आज की परीक्षा सबसे कठिन है, क्योंकि सूचना अधिक है, पर सत्य कम।” उन्होंने स्पष्ट किया कि एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया निष्पक्षता, संयम, संतुलन और सही तथ्य प्रस्तुत करने की संस्कृति को आगे बढ़ाएगा।
• संस्था संपादक सुरक्षा प्रावधानों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संवाद शुरू करेगी।
• पत्रकारों और संपादकों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण मामलों की मॉनिटरिंग की जाएगी।
• फे क न्यूज़ और दुष्प्रचार रोकनेके लिए संयुक्त अभियान चलाए जाएगा।
संजय गिरी ने यह भी कहा, “पत्रकारिता जितनी स्वतंत्र होगी, लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा।”
राष्ट्रीय महासचिव डॉ सुनील कौशिक ने कहा “यह पद मेरे लिए केवल दायित्व नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति एक व्रत है। संपादक के वल समाचार का सरंक्षक नहीं बल्कि समाज का नैतिक मार्गदर्शक होता है। एडिटर्स क्लब ऑफ़ इंडिया का उद्देश्य- देश भर के संपादको को एक मंच पर एकजुट कर पत्रिकारिता की गरिमा और स्ववतंत्रता की शक्ति देना है। ”
“अब समय है कि भारत का संपादक एकजुट होकर अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करे।” डॉ कौशिक ने गहरे भावनात्मक और विचारशील शब्दों में कहा कि इस संगठन का उद्देश्य किसी संस्था का विरोध करना नहीं, बल्कि पत्रकारिता की मजबूती के लिए रास्तेतैयार करना है। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगेकि संपादक की आवाज़ हर स्तर पर सुनी जाए, चाहे वह समाचार कक्ष हो, अदालत हो, सरकार हो या कोई भी मंच।”
डॉ कौशिक नेतीन प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की
1. National Editor Development Mission
• शिक्षण, रिसर्च, धोरण निर्माण और प्रशिक्षण के लिए विशेष केंद्र।
• युवा संपादकों को तकनीकी, नैतिक और इन्वेस्टिगेशन कौशल मेंप्रशिक्षित करना।
2. Media Freedom & Ethics Council
• प्रेस स्वतंत्रता की निगरानी
• नैतिक पत्रकारिता के मानक तैयार करना
• कठिन परिस्थितियों में कार्यरत पत्रकारों की सहायता
3. Legal & Safety Support Desk
• कानूनी विवादों, धमकियों, उत्पीड़न या अनुचित दबाव पर त्वरित सहायता
• जिला और राज्य स्तर पर लीगल पार्टनर्सकी टीम
उन्होंने भावुक होकर कहा, “हम किसी सत्ता सेनहीं डरतेऔर किसी संघर्ष से पीछे नहीं हटते, लेकिन हमारी प्राथमिकता केवल एक है सत्य की रक्षा।”
कोषाध्यक्ष सतेंद्र भाटी ने कहा, एडिटर्स क्लब ऑफ़ इंडिया शीघ्र ही “राष्ट्रीय संपादक फैलोशिप कार्यक्रम” शुरआत करेगा जिसमे संपादको को सशक्त, नैतिक और जिम्मेदार पत्रकारिता की दिशा में प्रशिक्षित किया जा सके।
संगठन मंत्री नरेश वशिष्ठ ने कहा “एक मजबूत संगठन ही संपादक की ताकत है।”
नरेश वशिष्ठ ने कहा कि संगठन की शक्ति उसके नेटवर्क में होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि
• देश के हर जिले, हर राज्य और हर मीडिया इकाई तक संगठन पहुँचेगा।
• संपादकों के लिए 24×7 सहायता तंत्र विकसित किया जाएगा।
• युवा संपादकों और ग्रामीण क्षेत्रों मेंकार्यरत पत्रकारों के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार किए जाएँगे।
नरेश वशिष्ठ ने कहा, “संगठन का उद्देश्य किसी व्यक्ति को ऊँचा उठाना नहीं, पूरे समुदाय को मजबूत बनाना है।”
उपाध्यक्ष अरविन्द सिंह ने कहा, “पत्रकारिता में नई ऊर्जा, नई सोच और नई दिशा की ज़रूरत है।” अरविन्द सिंह नेकहा कि पत्रकारिता का भविष्य डिजिटल है, तेज़ हैऔर चुनौतियों सेभरा है। इसके लिए संपादकों को तकनीकी और विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता है।
उन्होंने घोषणा की—
• राष्ट्रीय स्तर पर Digital Editor Training Program
• डेटा पत्रकारिता, ओटीटी और डिजिटल सत्यापन तकनीक पर कार्यशालाएँ
• नई पीढ़ी के संपादकों के लिए मेंटरशिप मॉडल
उन्होंने कहा— “अगर हम भविष्य की पत्रकारिता तैयार नहीं करेंगे, तो भविष्य हमें तैयार करेगा, और यह विकल्प स्वीकार्य नहीं।”
सह सचिव पूर्णिमा मिश्रा ने कहा, “महिला पत्रकारों की सुरक्षा, सम्मान और नेतृत्व हमारी प्राथमिकता है।” पूर्णिमा मिश्रा ने आगे कहा कि भारतीय पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है, लेकिन
चुनौतियाँ भी उतनी ही वास्तविक हैं।
उन्होंने कहा—
• फील्ड सुरक्षा
• मानसिक उत्पीड़न सेरक्षा
• पारदर्शी कार्यस्थल
• नेतृत्व भूमिकाओं में बढ़ा प्रतिनिधित्व के लिए एडिटर्सक्लब विशेष कार्यक्रम शुरू करेगा।
उन्होंने कहा— “एक सुरक्षित महिला ही सबसे सशक्त पत्रकार है।” राष्ट्रीय संकल्प, “संपादक की मजबूती ही लोकतंत्र की मजबूती है।” अंत में एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया ने निम्न 10 राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को अपनाया:
1. संपादक सुरक्षा
2. प्रेस स्वतंत्रता
3. नैतिक पत्रकारिता
4. फेक न्यूज़ के विरुद्ध अभियान
5. डिजिटल कौशल विकास
6. महिला पत्रकार सशक्तिकरण
7. युवा संपादकों का प्रशिक्षण
8. कानूनी सहायता
9. संवाद–विस्तार
10. मीडिया–जनसंपर्क संबंधों में पारदर्शिता
अंतिम संदेश
“हम किसी से टकराने नहीं चल रहे, हम केवल पत्रकारिता की आत्मा को पुनर्स्थापित करने चले हैं।” एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया ने स्पष्ट कहा, “भारत का भविष्य तभी सुरक्षित है, जब उसकी पत्रकारिता सुरक्षित हो।”