JK By-Election: नेशनल कॉन्फ्रेंस की बडगाम में पहली बार हार, पीडीपी प्रत्याशी की जीत

JK By-Election: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को जम्मू कश्मीर के बडगाम विधानसभा सीट पर पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। विपक्षी पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर ने उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी से ये सीट छीन ली। मुंतजिर ने कहा, “ये जीत हमारी अकेली की, जमात की नहीं है, बल्कि पूरे बडगाम जिले की और इस कॉन्स्टिच्यूएंसी की है, जो पिछले 70 साल से नाइंसाफियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। अपने गम और गुस्से का इजहार कर रहे थे। आज उनको मौका मिला और उन्होंने बदलाव का झंडा गाड़ दिया।”

मुंतजिर की जीत के साथ जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के विधायकों की संख्या चार हो गई है। पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, “बडगाम की जनता ने एनसी के मुकाबले पीडीपी को चुना। आगा मुंतजिर युवा, शिक्षित और बडगाम के लोगों की मदद करने के लिए उपयुक्त हैं। लोग पिछले एक साल में एनसी के काम से निराश हैं। उन्होंने ये जानते हुए पीडीपी को चुना कि इससे बदलाव आएगा।”

1957 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार नेशनल कॉन्फ्रेंस मध्य कश्मीर के अपने गढ़ बडगाम में हारी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जब भी शिया बहुल बडगाम से उम्मीदवार उतारा है, जीत हासिल की है। इस सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रतिनिधित्व सिर्फ 1972 में नहीं था, जब पार्टी ने पूरे जम्मू कश्मीर में चुनावों का बहिष्कार किया था।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में अपने पारिवारिक गढ़ गंदेरबल से चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ये सीट खाली कर दिया था। इसके बाद इस निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था।
बडगाम से अब्दुल्ला से पहले, इस सीट का प्रतिनिधित्व श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के वर्तमान लोकसभा सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने 2002, 2008 और 2014 में लगातार तीन बार किया था।

मेहदी ने 2024 का चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि वे संसद के लिए चुने गए थे। इसके बाद से लोकसभा सांसद का पार्टी नेतृत्व से जम्मू कश्मीर की वर्तमान आरक्षण नीति सहित कई मुद्दों पर मतभेद रहा है। उन्होंने उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार भी नहीं किया। लोकसभा सांसद का दावा है कि पार्टी राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को प्राथमिकता दे रही है और अनुच्छेद 370 की बहाली पर अपना रुख नरम कर लिया है।

प्रभावशाली शिया नेता, मेहदी का प्रचार अभियान से गैरमौजूदगी और पार्टी उम्मीदवार आगा महमूद, जो उनके रिश्तेदार भी हैं, को समर्थन न देना, नेशनल कॉन्फ्रेंस की हार का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। मेहदी फैक्टर का मुकाबला करने की नाकाम कोशिश में, मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने तीन दिन प्रचार अभियान में बिताए और अपने कैबिनेट सहयोगियों, सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए तैनात किया।

पीडीपी ने भी विधानसभा में अपनी संख्या बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तीन विधायकों – वहीद पारा, मोहम्मद फैयाज और मोहम्मद रफीक नाइक – के साथ प्रचार अभियान का नेतृत्व किया। पीडीपी के विजेता मुंतजिर, धार्मिक मौलवी और पूर्व अलगाववादी आगा सैयद हसन के पुत्र हैं। नई दिल्ली के एमिटी विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर, मुंतजिर अगस्त 2024 में पीडीपी में शामिल होकर राजनीति में उतरे।

उन्होंने पिछले साल का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन अब्दुल्ला से 18,000 से ज्यादा वोटों से हार गए थे। अब्दुल्ला को 36,010 वोट मिले, जबकि मुंतजिर को 17,525 वोट मिले थे। बडगाम उपचुनाव को मुख्यमंत्री अब्दुल्ला की सरकार और उनकी पार्टी के लिए अग्निपरीक्षा के रूप में देखा जा रहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *