Uttarakhand: उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र के कंधार और इंदरानी गांवों की संयुक्त पंचायत ने भव्य शादियों पर लगाम लगाने के लिए शादियों और पारिवारिक समारोहों में पहने जाने वाले सोने के आभूषणों पर सख्त सीमाएं तय कर दी हैं। महिलाएं अब केवल तीन आभूषण पहनकर ही विवाह समारोहों में शामिल होंगी। इस फैसले का मकसद गरीब परिवारों पर वित्तीय बोझ को कम करना और फिजूलखर्ची वाली परंपराओं की वजह से बढ़ते सामाजिक दबाव को कम करना है।
जौनसार-बावर का जनजातीय क्षेत्र जौनसारी लोगों का घर है, जो पारंपरिक रूप से खेती-बाड़ी करते हैं और पशु पालते हैं। यहां कई मामलों में पंचायत का फैसला आज भी अंतिम माना जाता है और लोग इनका पूरी गंभीरता से पालन करते हैं। हालांकि सोने के आभूषणों पर सुनाए फैसले पर कई महिलाओं के उठाए सवाल के बाद पंचायत ने जल्द ही कई और सुधारों के संकेत दिए हैं।
ग्राम प्रमुख अर्जुन सिंह ने बताया कि “हमारे दो गांवों की मीटिंग हुई, तो मेरे शादी से 10 दिन पहले मीटिंग हुई, अब दो गांव ने फैसला ले लिया, यार ऐसा करते हैं, महंगाई भी ज्यादा हो गई और सब लोग एक जैसे भी नहीं होते। इसलिए कुछ दो गांवों ने फैसला ले लिया कि कुछ चीजों को हम कम करते हैं। तो तीन चीजें रखीं जैसे कुंडल है, नाक का है, और कान का है थोड़ा, तो ये फैसला हो गया।”
पंचायत की इस पहल को गांव के लोग सही कदम बताते हैं। हालांकि वे सवाल उठाते हैं कि ये रोक सिर्फ सोने के आभूषणों को लेकर ही क्यों है? उनके मुताबिक आजकल शादियों में लोग जमकर फिजूलखर्ची करते हैं, जिसमें महंगी शराब पर खर्च भी शामिल है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि “बहुत अच्छा फैसला लिया गया, इसलिए फैसला लिया गया कि एक समानता हो। कई गांव में ऐसे होते हैं, गरीब लोग होते हैं, उनकी महिलाओं पर ज्वैलरी कम होती है तो इसलिए वो अपने को गिल्टी महसूस करते हैं। जो अन्य खर्च है, फिजूलखर्च है जैसे मान लो हमारे जो जौनसार-बावर का ताना-बाना है, उसमें ये था कि कच्ची शराब चलती थी, अब हमारे यहां इंग्लिश शराब बहुत ज्यादा चलने लगी। आने वाले समय में इस पर भी एक पाबंदी करनी चाहिए मेरे हिसाब से। बाकी जो निर्णय लिया है, समाज के हिसाब से बहुत अच्छा निर्णय है।”
वहीं कुछ महिलाओं का कहना है कि वे सोने को भविष्य के लिए एक सुरक्षित निवेश मानती हैं। उनका मानना है कि कई और चीजें हैं जिन पर रोक लगाकर शादी में होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है। महिलाओं की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, पंचायत ने ज्यादा समान और समावेशी समाज बनाने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारों का वादा किया है।