Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा शहीद स्थल पहुंचकर राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कहा कि दो अक्टूबर 1994 का रामपुर तिराहा गोलीकांड उत्तराखंड आंदोलन का सबसे काला अध्याय था, इस बर्बर कांड ने हर उत्तराखंडी की आत्मा को झकझोर दिया।
मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों और उनके परिजनों के लिए चल रही योजनाओं की जानकारी भी दी। शहीद परिवारों को 3000 रुपये मासिक पेंशन, घायल और जेल गए आंदोलनकारियों को 6000 रुपये, जबकि सक्रिय आंदोलनकारियों को 4500 रुपये मासिक पेंशन दी जा रही है। नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण लागू है। साथ ही सरकारी बसों में नि:शुल्क यात्रा सुविधा भी दी जा रही है।
सीएम धामी ने कहा कि राज्य की नींव शहीदों के खून से सींची गई है। राज्य आंदोलन में मातृशक्ति की भूमिका अविस्मरणीय रही है। सरकार उनके सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू कर सभी को समान अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं। सख्त नकल विरोधी कानून से 24 हजार युवाओं को नौकरियां मिली हैं। धर्मांतरण और अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। नया कानून लागू कर मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय भी लिया गया है।
उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि मुजफ़्फ़रनगर (उत्तर प्रदेश) में रामपुर तिराहा गोलीकांड की बरसी पर शहीद राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर राज्य निर्माण के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान शहीद स्थल के लिए भूमिदान करने वाले स्व. महावीर शर्मा जी की प्रतिमा का लोकार्पण किया। साथ ही रामपुर तिराहा शहीद स्थल के री-डेवलपमेंट का मास्टर प्लान बनाए जाने, संग्रहालय को भव्यता प्रदान किए जाने, कैंटीन का निर्माण करवाए जाने, एवं उत्तराखण्ड की बसों को ठहरने के लिए स्टॉपेज बनाए जाने की घोषणा भी की।
रामपुर तिराहा गोलीकांड उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के इतिहास का सबसे काला और क्रूर अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। pic.twitter.com/HpbcQZ6SW9
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 2, 2025
इसके साथ ही कहा कि 2 अक्टूबर 1994 की घटना उत्तराखण्ड आंदोलन के इतिहास का सबसे काला दिन है। उस समय की समाजवादी पार्टी की सरकार ने लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने के लिए क्रूरतापूर्ण दमन का सहारा लिया। निर्दोष आंदोलनकारियों पर की गई गोलीबारी ने न केवल अनेक परिवारों को शोक संतप्त किया बल्कि पूरे उत्तराखण्ड की आत्मा को झकझोर दिया। राज्य आंदोलन के दौरान अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले शहीद आंदोलनकारियों के प्रति हर उत्तराखण्डवासी सदैव कृतज्ञ रहेगा।