Dussehra: देशभर के शहरों में दशहरे पर भव्य रावण दहन की तैयारी हो रही है, इस दौरान रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशाल पुतलों को अग्नि के हवाले किया जाएगा। बिहार के गया में ऐतिहासिक गांधी मैदान दशहरा उत्सव के लिए तैयार है, जहां मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाए गए पुतलों की सजावट की जा रही है और यहां पर ये परंपरा दशकों से चल रही है।
गयाजी दशहरा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष अजय तार्वे नें बताया कि “यह हमारे यहां पुराने समय से चला आ रहा है। हमारे यहां परंपरा है, मुस्लिम परिवार हैं हमारे यहां के, उनकी तीसरी पीढ़ी में जफरू जी हैं और महारथ हासिल है उनको पुतला बनाने में और हर वर्ष वहीं बनाते हैं। इस साल भी वही बना रहे हैं।
इस बीच उत्तर प्रदेश के मेरठ में भैंसाली मैदान में रावण दहन के आयोजकों का कहना है कि उनके पुतले पर्यावरण प्रोटोकॉल के मुताबिक तैयार किए जा रहे हैं। रामलीला कमेटी के महासचिव गणेश अग्रवाल ने बताया कि “पर्यावरण का पूरा ख्याल रखा गया है, पर्यावरण के अनुकूल रावण बनाए हैं सब और सरकार के जो भी नियम हैं उसका पालन किया गया है।
युवा पीढ़ी आगे काम करेगी, कब तक हम ये संस्था चलाएंगे, युवा पीढ़ी को ये सिखाया जा रहा है कि जो भी कानून के दायरे में वो हमें फॉलो करने चाहिए। किसी चीज का नुकसान नहीं होना चाहिए, पटाखे हम साइड में जलाएंगे। हमने इसकी साइट में व्यवस्था की है, जो रावण का पुतला दहन होगा, दो रावण दिखाई देंगे, एक साइड में और सामने स्टेज पर।”
वाराणसी के बरेका मैदान में भी तैयारियां चल रही हैं और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के कड़े उपाय किए गए हैं। इसके साथ ही सहारनपुर में तैयारियां जोरों पर हैं और इस साल आग से जलने वाले खास पुतले आकर्षण का केंद्र होंगे। इसी तरह झारखंड की राजधानी रांची में भी रावण दहन की तैयारियां जोरों पर हैं, जहां कारीगर पुतलों को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिन्हें जल्द ही भव्य उत्सव के रूप में स्थापित किया जाएगा।
कोलकाता से मंगवाई गई विशेष आतिशबाज़ी रात के आसमान को रोशन करने के लिए तैयार है। तो हरियाणा में पंचकूला के सेक्टर पांच के शालीमार मैदान में 180 फुट ऊंचा रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के 100 फुट ऊंचे पुतले भव्य आयोजन का मुख्य आकर्षण हैं।
आगरा के 25 कारीगरों की टीम जुलाई से ही पुतलों के इन विशाल ढाँचों को जीवंत बनाने के लिए काम कर रही है। हर साल रावण दहन के दौरान जलाए जाने वाले रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशाल पुतले बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। पुतले दहन के अलावा ये त्योहार पीढ़ियों से आस्था, कलात्मकता और सांप्रदायिक एकता की विरासत को आगे बढ़ाता है।