Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड के लिए रोपवे परियोजनाएँ गेमचेंजर साबित हो सकती हैं, दुर्गम पहाड़ी रास्तों की मुश्किलें आसान होंगी, धार्मिक पर्यटन को गति मिलेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई रफ़्तार मिलेगी। इन प्रोजेक्ट्स से स्थानीय रोज़गार सृजन, समय की बचत और आपदा प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।
उत्तराखंड सरकार ने रोपवे प्रोजेक्ट्स को पर्वतमाला योजना के तहत प्राथमिकता में रखा है, सोनप्रयाग से केदारनाथ तक बनने वाला 12.9 किलोमीटर लंबा रोपवे अडानी एंटरप्राइजेज 4,081 करोड़ की लागत से बना रही है।
इसके बन जाने के बाद श्रद्धालुओं को 9-12 घंटे की कठिन पैदल चढ़ाई नहीं करनी होगी और वे मात्र 36 मिनट में केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण पर 2,730 करोड़ की लागत आएगी। ये प्रोजेक्ट न सिर्फ धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन सेक्टर को नया आयाम देने वाले साबित होंगे।
औली रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर भी बड़ी तैयारी चल रही है, जोशीमठ-औली रोपवे की डीपीआर तैयार होकर शासन को भेजी जा चुकी है। हालांकि भू-धंसाव की वजह से फिलहाल प्रोजेक्ट पर रोक लगी है, लेकिन पर्यटन विभाग का कहना है कि वे इसे फिर से शुरू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद औली में विंटर गेम्स और अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्नो इवेंट्स आयोजित किए जा सकेंगे।
यमुनोत्री रोपवे प्रोजेक्ट पर भी सभी की नज़रें टिकी हैं। प्रोजेक्ट में देरी को लेकर सवाल उठे थे, जिस पर पर्यटन सचिव ने सफाई दी कि देरी की वजह प्रोजेक्ट के एलाइनमेंट में बदलाव का प्रस्ताव है। विभाग इसका परीक्षण करवा रहा है और NHLML से राय लेने के बाद इसे मंजूरी दी जाएगी।
कुल मिलाकर उत्तराखंड में रोपवे प्रोजेक्ट्स पर काम तेज़ी से चल रहा है। केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और यमुनोत्री जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों के साथ औली जैसे एडवेंचर डेस्टिनेशन को जोड़ने के प्रयास से राज्य के पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी। आने वाले सालों में उत्तराखंड का रोपवे नेटवर्क देश के सबसे आधुनिक नेटवर्क्स में शुमार हो सकता है।