Ladakh: सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने बुधवार को अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल वापस ले ली क्योंकि लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। नाराज प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर के साथ कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए।
इससे पहले लेह एपेक्स बॉडी या एलएबी ने घोषणा की थी कि उसके नेता तब तक अपनी भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे जब तक कि राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। एलएबी, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत छह अक्टूबर को होनी है।
पत्रकारों से ऑनलाइन बात करते हुए वांगचुक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कुछ शर्तें रखी हैं, जिनमें ये भी शामिल है कि होने वाली बातचीत में वो शामिल नहीं होने चाहिए। इस शर्त को अस्वीकार्य बताते हुए उन्होंने फौरन बैठक की मांग की और चेतावनी दी कि जनता का धैर्य जवाब दे रहा है।
संविधान की छठी अनुसूची, जो पूर्वोत्तर के चार राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है। उसमें शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के जरिए इस्तेमाल की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संबंध में विशेष प्रावधान मुहैया कराती है। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मुहिम अब धीरे-धीरे तेज हो रही है।