Delhi: पतंजलि अपने च्यवनप्राश के विज्ञापन करें बदलाव, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को उसके विज्ञापन के कुछ हिस्सों को हटाने का निर्देश दिया, जिसमें कथित तौर पर डाबर कंपनी के च्यवनप्राश का अपमान किया गया था। न्यायमूर्ति हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने पतंजलि को ‘‘साधारण च्यवनप्राश से ही क्यों संतुष्ट हों’’ वाक्य का इस्तेमाल करने की अनुमति दी, लेकिन उसे इस वाक्य में से ‘‘40 जड़ी-बूटियों से बने’’ वाले हिस्से को हटाने का निर्देश दिया।

पीठ का यह आदेश पतंजलि द्वारा उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया, जिसमें उसे डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ ‘अपमानजनक’ विज्ञापन चलाने से रोक दिया गया था। एकल न्यायाधीश ने जुलाई में पतंजलि के खिलाफ डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर अंतरिम आवेदनों को स्वीकार कर लिया था और उसे विज्ञापन की पंक्ति ‘‘40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से ही क्यों संतुष्ट हों?’’ को हटाने का निर्देश दिया था।

पीठ ने पतंजलि को टीवी विज्ञापन से यह पंक्ति हटाने का भी निर्देश दिया: ‘‘जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा के अनुरूप, असली च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?’’ पतंजलि के वकील ने मंगलवार को पीठ को सूचित किया कि कंपनी ‘‘40 जड़ी-बूटियों से निर्मित’’ का संदर्भ हटा देगी और उन्होंने ‘‘साधारण च्यवनप्राश’’ के संदर्भ में विज्ञापन की अनुमति देने का अनुरोध किया।

वकील ने कहा कि पतंजलि एकल न्यायाधीश द्वारा प्रतिबंधित विज्ञापन के दूसरे भाग के विज्ञापन की अनुमति नहीं मांग रहा है। पीठ ने ये भी कहा कि यदि 40 जड़ी-बूटियों का संदर्भ हटा दिया जाता है, तो जो बचता है वह केवल एक बयान है जिसमें कहा गया है कि ‘‘साधारण च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों?’’।

पीठ ने कहा, ‘‘हम च्यवनप्राश की बात कर रहे हैं, किसी डॉक्टर के पर्चे वाली दवा की नहीं। अगर कोई कैंसर की दवा के लिए साधारण शब्द कहता है, तो यह गंभीर मामला हो सकता है। लेकिन च्यवनप्राश का इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं… यह कहना कि ‘‘मैं सबसे अच्छा हूं और दूसरे मेरे जितने अच्छे नहीं हैं’’ स्वीकार्य है क्योंकि यह अति प्रशंसा है। हमें नहीं लगता कि साधारण शब्द की वजह से लोग डाबर च्यवनप्राश लेना बंद कर देंगे।’’

न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने पतंजलि को ‘तो साधारण च्यवनप्राश क्यों?’’ वाला वाक्यांश हटाने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा कि संशोधनों के बाद पतंजलि को प्रिंट और टीवी विज्ञापन चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। अपनी याचिका में, पतंजलि ने अदालत के समक्ष दावा किया है कि उसके विज्ञापन में डाबर का कोई जिक्र नहीं था। न्यायाधीश ने 3 जुलाई के आदेश में कहा कि टीवी विज्ञापन का वर्णन रामदेव ने किया था, जो एक जाने-माने योग और वैदिक विशेषज्ञ हैं और विज्ञापन में स्वयं दिखाई दिए थे।

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