Dehradun: उत्तराखंड सरकार द्वारा मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट में एडवेंचर टूरिज्म के लिए निकाले गए टेंडर को लेकर सियासत गरमा गई है, कांग्रेस ने इस मामले को “राज्य का सबसे बड़ा भूमि घोटाला” बताते हुए सरकार पर हमला बोला है और पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर पुतले फूंके हैं। कांग्रेस का आरोप है कि दिसंबर 2022 में जारी किए गए टेंडर में शामिल तीनों कंपनियों में आचार्य बालकृष्ण की 99.9% हिस्सेदारी है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि सरकार ने मात्र ₹1 करोड़ में यह भूमि आवंटित करके बाबा रामदेव के करीबी को फायदा पहुँचाया है।
कांग्रेस ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से इस्तीफे की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस मामले में जाँच के आदेश नहीं देती तो पार्टी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।
इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने जॉर्ज एवरेस्ट क्षेत्र में पर्यटन विभाग की जमीन सालाना किराए पर देने के मामले को भ्रष्टाचार करार दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। जिस कंपनी को जॉर्ज एवरेस्ट का ठेका दिया गया, वह बाबा रामदेव की पतंजलि से संबंध रखती है। आर्य ने कहा कि अरबों रुपए के पर्यटन से जुड़े ठेके को हथियाने के लिए किए गए फर्जीवाड़े की पोल खुल गई है।
उत्तराखंड टूरिज्म बोर्ड ने मसूरी में एडवेंचर टूरिज्म के लिए एक टेंडर निकाला। टेंडर हासिल करने वाले को 142 एकड़ में फैले स्पॉट, जिसमें म्यूजियम, ऑब्जर्वेटरी, कैफेटेरिया, स्पोर्ट्स एरिया, पार्किंग आदि सबके प्रबंधन का जिम्मा मिलना था। इस जमीन में से 142 एकड़ भूमि (762 बीघा या 2862 नाली या 5744566 वर्ग मीटर) को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के उप कार्यकारी अधिकारी ने राजस एरो स्पोर्टस एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड को केवल एक करोड़ रुपए सालाना किराए पर दे दिया। उन्होंने कहा कि मौके पर कंपनी ने 1000 बीघा जमीन कब्जाई है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि महज एक करोड़ रुपए सालाना के शुल्क के साथ ही बालकृष्ण की कंपनी ने यह टेंडर हासिल कर लिया। कमाल की बात ये भी है कि टेंडर डालने वाली तीनों कंपनियों की मिलकियत बालकृष्ण के पास है। कब्जे वाले हिस्से का छोड़ भी दें तो इस 762 बीघा भूमि भूमि का सरकारी रेटों से मूल्य आज के समय करीब 2757 करोड़ है। जमीन का यह रेट सरकारी सर्किल रेट के अनुसार है। व्यवसायिक जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य आम तौर पर इसके चार गुना और व्यवसायिक या पर्यटक स्थलों पर 10 गुना तक होता है।
वही भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने इस मामले पर कहा कि मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट में पर्यटन गतिविधियों के लिए आवंटन प्रक्रिया विधि सम्मत हुई है। विकसित स्थल की भूमि और संसाधन राज्य के हैं। इनके पास आम आदमी की आवाजाही या अन्य गतिविधियों पर किसी तरह की रोक नहीं है। उन्होंने कांग्रेस के आरोपों को झूठ का पुलिंदा और तथ्यों से परे बताया।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए चौहान ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से वर्ष 1987-88 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने जार्ज एवरेस्ट में कुल 172.91 एकड़ भूमि जिला प्रशासन के माध्यम से अधिग्रहित की थी। वर्ष 2019 में बाह्य सहायतित योजना (एडीबी प्रोजेक्ट) के अंतर्गत जॉर्ज एवरेस्ट हैरिटेज पार्क का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। जिसका निर्माण नवंबर 2022 में पूर्ण हुआ।
योजना के तहत जार्ज एवरेस्ट हाउस संग्रहालय, प्रयोगशाला, पांच हट्स कैफे आदि का निर्माण, कॉमन पार्क स्टेट रोड के तहत व अन्य पर्यटन गतिविधियों से अवस्थापना व्यवस्थाएं सृजित की गईं। इन सभी कार्यों पर एडीबी के माध्यम से 23.52 करोड़ की लागत कार्य करवाया गया। यह परिसंपत्ति जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट मसूरी में एयरोस्पोर्टस गतिविधियों के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 के तहत ई-टेंडर आमंत्रित किए गए।
मनवीर ने कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट भवन परिसर में पार्किंग की न्यूनतम उपलब्धता, वाहन मार्ग संकरा होने के कारण पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर जॉर्ज एवरेस्ट म्यूजियम तक वाहनों का प्रवेश शुल्क लेने, बैरियर के समीप वाहन पार्किंग की अनुमति विभाग ने संबंधित फर्म को टेंडर अनुबंध के आधार पर दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विकास प्रक्रिया पर सवाल उठाकर नकारात्मक विजन परोस रही है। यह स्थल वर्तमान में राज्य में पर्यटन गतिविधियों के जरिए आर्थिकी का स्रोत है।