Population: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सभी भारतीयों को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए, जिनमें उनकी मातृभाषा, उनके राज्य की भाषा और पूरे देश के लिए एक संपर्क भाषा शामिल होनी चाहिए, जो विदेशी नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या को पर्याप्त और नियंत्रण में रखने के लिए प्रत्येक भारतीय परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए।
आरएसएस के 100 साल होने पर आयोजित व्याख्यानमाला के अंतिम दिन प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान उन्होंने कहा, “किसी सभ्यता को जीवित रखने के लिए, भारत की जनसंख्या नीति 2.1 (औसत बच्चों की संख्या) का सुझाव देती है, जिसका मूलतः अर्थ तीन बच्चे हैं। लेकिन संसाधनों का प्रबंधन भी करना होगा, इसलिए हमें इसे तीन तक सीमित रखना होगा।”
भाषाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारतीय मूल की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “संवाद के लिए एक संपर्क भाषा होनी चाहिए, लेकिन वो विदेशी नहीं होनी चाहिए। सभी को मिलकर एक साझा संपर्क भाषा तय करनी चाहिए।”
भागवत ने यह भी कहा कि आरएसएस अंग्रेजी या किसी और भाषा के खिलाफ नहीं है और लोगों को जितनी चाहें उतनी भाषाएं सीखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “जब मैं आठवीं कक्षा में था, तब मेरे पिताजी ने मुझे ‘ओलिवर ट्विस्ट’ और ‘द प्रिजनर ऑफ जेंडा’ पढ़ने को कहा था। मैंने कई अंग्रेज़ी उपन्यास पढ़े हैं, लेकिन इससे मेरे हिंदुत्व प्रेम पर कोई असर नहीं पड़ा है। भागवत ने कहा कि “हमें अंग्रेज बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं है। एक भाषा के रूप में, इसका कोई बुरा असर नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और उसकी परंपराओं को समझने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत जरूरी है। हालांकि, भागवत ने कहा कि वे शिक्षा प्रणाली में किसी भी चीज को जबरन थोपने के खिलाफ हैं।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि “अब उसके बारे में आपको प्रचारक को नहीं पूछना चाहिए वास्तव में, परंतु पूछा है आपने तो दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं विद्या कि जन्मदर तीन से कम जिनका होता है, वो धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं। तो तीन से ऊपर मेंटेन करना चाहिए। सब देशों में ऐसा होता है, सब समाज ऐसा करते हैं। दूसरा डॉक्टर लोग मुझे बताते हैं कि तीन संतान होने से, बहुत देर नहीं करना विवाह में और तीन संतान होना, इससे माता-पिता का, संतानों का तीनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। और जिस घर में तीन संतान है, उस घर की वो संतान आपस में ईगो मैनेजमेंट सीख लेती है, इसलिए आगे चलकर उनकी फैमिली लाइफ में कोई डिस्टर्बेंस नहीं होता है।”