Lok Sabha: केंद्र सरकार की ओर से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए गए, जिन पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लोकसभा अध्यक्ष को इस हंगामे के चलते दो बार सदन को स्थगित करना पड़ा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक जल्दबाजी में नहीं लाए गए हैं, इन्हें संयुक्त संसदीय समिति को भी भेजा जाएगा। विपक्ष ने इन विधेयकों को अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने ने कहा कि हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों के बावजूद सांविधानिक पदों पर बने रहें। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी जैसे विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।
अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों को 31 सदस्यों वाली जेपीसी को भेजा जाएगा, जो अगले संसद सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट देगी। लेकिन विपक्षी के विरोध के चलते सदन को फिर शाम पांच बजे तक स्थगित करना पड़ा।
यह तीन विधेयक केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2025; संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 हैं। इनका मकसद यह है कि अगर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार कर लगातार तीस दिनों तक जेल में रखा जाता है, तो 31वें दिन वे अपने पद से हटा दिए जाएंगे।
एक विधेयक में प्रावधान है कि अगर कोई मंत्री लगातार तीस दिनों तक किसी ऐसे अपराध के आरोप में हिरासत में रहता है, जिसकी सजा पांच साल या उससे अधिक हो सकती है, तो राष्ट्रपति उन्हें प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री सलाह नहीं देते, तो 31वें दिन के बाद वह व्यक्ति खुद-ब-खुद मंत्री पद से हटा हुआ माना जाएगा।
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
केंद्र ने इस विधेयक को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो। इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है। सरकार बुधवार को लोकसभा में इस आशय का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसमें प्रावधान है कि संगीन अपराधों में लगातार 30 दिन तक हिरासत या गिरफ्तारी में रहने पर हर हाल में पद छोड़ना होगा। पद नहीं छोड़ने पर राष्ट्रपति की सलाह से ऐसे मंत्रियों को हटा दिया जाएगा।
केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र शासित प्रदेशों का शासन अधिनियम, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए केंद्र शासित प्रदेशों का शासन अधिनियम, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक के नियमों को जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर लागू करने के लिए ही केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 लेकर आई है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।