Cricket: खेल जगत में रुतबा अस्थाई होता है, एक नाकामी से खिलाड़ी खलनायक बन जाता है। फिर एक जबरदस्त प्रदर्शन उसी खिलाड़ी को नायक बना देता है। उसे सिर पर बिठा लिया जाता है। इस रंग बदलते दौर को मोहम्मद सिराज से बेहतर कौन समझ सकता है…
इंग्लैंड में 2025 की टेस्ट श्रृंखला में सिराज ने दोनों रंग देखे। लॉर्ड्स में दूसरे टेस्ट में वे क्रीज पर आखिरी भारतीय बल्लेबाज थे। बचकाने तरीके से अपना विकेट गंवा बैठे। जो बॉल किसी भी सूरत में नुकसानदेह नहीं दिख रही थी, उसी बॉल पर प्ले डाउन हो गए। उस वक्त उनकी आंखों में जो दर्द झलक रहा था, उसे साफ देखा जा सकता था। फिर क्रिकेट आलोचकों की तो पूछिए ही मत।
सीरीज का पांचवां और अंतिम टेस्ट ओवल में था। सिराज ने गजब आत्मविश्वास के साथ मैदान पर कदम रखा। इसी आत्मविश्वास के दम पर उन्होंने नाकामी की कहानी पलट दी। इंग्लैंड के शीर्ष क्रम को तहस-नहस कर डाला। पहली में चार और दूसरी पारी में पांच विकेट अपने नाम किए और सीरीज बराबर करने में अहम योगदान दिया। हर किसी ने उनकी आक्रामकता की तारीफ की और उन्हें भारतीय गेंदबाजी का अगुआ कहने लगे। लॉर्ड्स में खलनायक की भूमिका से लेकर ओवल में नायक बनने तक सिराज ने बदलते रंगों की तस्वीर दुनिया के सामने रख दी। बता दिया कि नाकामियां करियर को परिभाषित नहीं करतीं..
भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान शुभमन गिल ने कहा कि “पहले भी बोलता था मैं कि हमें सिर्फ सिराज भाई पर ही भरोसा है। जिस तरीके से इसने एफर्ट डाला है, ये मैच अगर हम हार भी जाते तो भी निश्चित रूप से ड्रेसिंग रूम में उनकी रेस्पेक्ट इसकी वजह से कम नहीं होती। एक मोमेंट रेस्पेक्ट को डिफाइन नहीं करती है। उन्होंने पिछले चार-पांच साल काफी मेहनत की है, उसका फल उन्हें मिला। ”
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनिंदर सिंह ने कहा कि “सिराज, सिराज हैं, वह शानदार गेंजबाज हैं। इसमें कोई शक नहीं। लोग उनकी शिकायत करते हैं कि वे अपना 100 फीसदी प्रदर्शन नहीं करते, क्योंकि उनमें स्थिरता नहीं है। यही इकलौती वजह है। अन्यथा जब मैंने उन्हें पहली बार देखा तो अनायास कह उठा, क्या शानदार एक्शन और गेंद फेंकने का अंदाज है! उनमें सबकुछ है।”
पूर्व भारतीय क्रिकेटर करसन घावरी ने बताया कि “मुझे लगता है कि मोहम्मद सिराज शेरदिल गेंदबाज हैं। जब भी कप्तान उन्हें गेंद देते हैं, वे उत्साह के साथ गेंदबाजी के लिए तैयार हो जाते हैं। वे पूरे जोश के साथ गेंदबाजी करते हैं। वे हर गेंद पर विकेट लेने की कोशिश करते हैं। बेशक, कोई भी गेंदबाज हर गेंद पर विकेट नहीं ले सकता, लेकिन वे कोशिश करते हैं। वे मैदान पर काफी आक्रामक होते हैं। वे अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, चाहे बल्लेबाजी हो, गेंदबाजी हो या क्षेत्ररक्षण, लेकिन खास कर गेंदबाजी करते समय वे हर गेंद से शेर की तरह आक्रमण करते हैं।”
फर्श से अर्श तक पहुंचने का संघर्ष-
सिराज के पास पेशेवर क्रिकेट सीखने का कोई साधन नहीं था। वे गेंद फेंकने के लिए नंगे पांव या चप्पल पहन कर दौड़ते थे। कई बार मैदान ऊबड़-खाबड़ होते थे। गेंदबाजी का सबक वहीं से शुरू हुआ। क्रिकेट के जूते दूर की कौड़ी थे। सिर्फ नामचीन खिलाड़ियों के पैरों में टीवी पर ही दिखते थे, लेकिन संसाधनों का अभाव बुलंद इरादों के आड़े नहीं आ सका। जैसे-जैसे समय बीतता गया, कामयाबी की भूख बढ़ती गई।
आज उनका करियर शानदार मुकाम पर है, शुरुआत ऐसी नहीं थी। हैदराबाद में 13 मार्च, 1994 को जन्मे मोहम्मद सिराज का बचपन अभावों में बीता। पिता ऑटो चलाते थे। कमाने के लिए तपती दुपहरी में भी ऑटो दौड़ाते थे। मां दूसरों के घर में काम करती थीं। घर मुश्किल से चलता था। ऐसे में क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखना भी बड़ा महंगा था।
शुरुआती कोच महमूद अहमद ने कहा कि “2015 की बात है यह, 2015 में जब मेरे पास खेले उन्होंने, तो मेरे को बोले कि मैं नहीं खेल सकता हूं। उसकी रीजन क्या है? आप नहीं खेलना चाहते तो उसकी वजह क्या है? तो कुछ बोले नहीं। मैंने जब बहुत फोर्स करके पूछा तो बोले कि खर्चाआत अफोर्ड नहीं कर सकता हूं। ग्राउंड में जाने के लिए खर्चा लगता। मेरे पास जूता नहीं है। ड्रेस नहीं है। ये सब प्रॉब्लम है। तो मेरे को बात समझ में आई। तो मैं हर मैच के पहले उन्हें 1500 रुपये ट्रैवलिंग एक्सपेंसेस के नाम पर देता था। तो वो 1500 रुपये उन्होंने पेट्रोल के लिए और ब्रेकफास्ट के लिए यूज करते थे। पैसे और साथ में स्पाइक शूज भी चाहिए था, वो मैं दिलाया।”
अटल दृढ़ता की मिसाल-
अगर भरोसे को सबूत की जरूरत है, तो सिराज की इंग्लैंड सीरीज इसकी सटीक मिसाल थी। अब वे सिर्फ सहायक नहीं, बल्कि शोस्टॉपर बन चुके हैं। वे भारत के तेज गेंदबाजी फ्लीट की बुनियाद हैं। पांच टेस्ट मैच में उन्होंने एक हजार 113 गेंद, यानी 185 ओवर और तीन बॉल फेंके। हर गेंद उसी ऊर्जा के साथ। ये आंकड़ा श्रृंखला में किसी भी गेंदबाज से ज्यादा है। और नतीजा? सबसे ज्यादा, 23 बार बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा। इनमें वैसी कामयाबियां भी थीं, जिन्होंने भारत के लिए तनाव के पलों को दूर किया। यही भरोसे का सबूत था। सिराज ने अपने जिस्म, जेहन और दिल को एकाकार किया। अटूट समर्पण और कौशल के साथ देश की नुमाइंदगी की। और अर्से पुराना सपना साकार कर दिखाया।
इंग्लैंड क्रिकेटर जो रूट ने कहा कि “वह सच्चे योद्धा हैं, वह ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें हर टीम अपने साथ रखना चाहेगी। वे ऐसे हैं, वे भारत के लिए अपना सब कुछ झोंक देते हैं। जिस तरह उन्होंने क्रिकेट को अपनाया है, इसका श्रेय उन्हें जाता है। कभी-कभी वे बनावटी गुस्सा भी दिखाते हैं, जिसे मैं समझ जाता हूं। वे एक बेहतरीन इंसान हैं। अविश्वसनीय रूप से कड़ी मेहनत करते हैं। वे बहुत कुशल खिलाड़ी हैं। यही वजह है कि उन्होंने इतने सारे विकेट लिए। ये उनकी कार्यशैली और कौशल के कारण है। मुझे उनके खिलाफ खेलने में मजा आता है। उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती है। वे अपनी टीम के लिए सब कुछ देने को तैयार रहते हैं। एक प्रशंसक के रूप में आप इससे ज्यादा कुछ नहीं चाह सकते। वे किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए बेहतरीन उदाहरण है।”
भारतीय क्रिकेटर भुवनेश्वर कुमार ने कहा कि “चर्चा करने वाले आप लोग हैं। अगर आप लोग चर्चा करेंगे तो अच्छा रहेगा, लेकिन हां, जिस तरह से सिराज इतने साल से खेल रहे हैं, परफॉर्म कर रहे हैं, बिल्कुल बॉलिंग मशीन वाला काम कर रहे हैं।” पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतन शर्मा ने कहा कि “सिराज एक ऐसे बॉलर हैं, जो दूसरों को रास्ता दिखाएंगे, दूसरों को रास्ता आप कैसे दिखाते हैं? कि मैं पांचों के पांचों टेस्ट मैच खेल रहा हूं। आई एम लाइक ए वर्क हॉर्स। ये नहीं है कि मुझे कोई रेस्ट की जरूरत है।”
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद सिराज ने बताया कि “यह श्रृंखला में लगभग 187 ओवर फेंके थे, लेकिन जब आप देश के लिए खेलते हैं तो अपना सबकुछ देते हैं। आप छठा ओवर या नौवां ओवर फेंकने की नहीं सोचते। मैं ऐसा नहीं सोचता। मैं सोचता हूं कि आप हर गेंद देश के लिए फेंक रहे हैं, अपने लिए नहीं। जब आप देश के लिए खेलते हैं, तो अपना सबकुछ दे दीजिए, बाकी ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए।”
हैदराबाद की खेल विरासत को आगे बढ़ाया
हैदराबाद अर्से से खेलों के चैंपियन की भूमि रही है। खिलाड़ियों ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है। अब प्रतिष्ठित चारमीनार और जीवंत गलियों वाले शहर ने देश को एक और शानदार खिलाड़ी दिया है – मोहम्मद सिराज, जो सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, शहर के जुझारू मिजाज का प्रतीक हैं।
आगे का सफर
सिराज 31 साल के हैं, कई लोग इस उम्र को तेज गेंदबाज के लिए चरम मानते हैं। आने वाले समय में कई अहम प्रतियोगिताएं हैं, विदेशी टूर हैं और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप है, लेकिन सिराज से इस उम्र में भी काफी उम्मीदें हैं।
सिराज के लिए निरंतरता ही कामयाबी की कुंजी होगी। फिटनेस बनाए रखनी होगी। बदलते हालात के अनुरूप खुद को ढालना होगा। जरूरत के मुताबिक खेल में बदलाव भी लाना होगा। सिराज की कामयाबी के यही मूलमंत्र होंगे।