Rajinikanth: सुपरस्टार रजनीकांत ने सिनेमा में 50 साल पूरे, ‘अपूर्व रागंगल’ से ‘कुली’ तक का सफर

Rajinikanth: साउथ और बॉलीवुड के सुपरस्टार रजनीकांत की सिनेमा यात्रा को 50 साल पूरे हो गए हैं। उनकी इस यात्रा में कई ऐसी फिल्में जुड़ी जिसने सिनेमा को एक नई राह दिखाई। रजनीकांत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई तमिल फिल्म अपूर्व रागंगल ((Apoorva Raagangal )) से की थी और फिर उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए स्टारडम की परिभाषा ही बदलकर रख दी ।

रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरू में हुआ था, उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। रजनीकांत ने मद्रास फिल्म संस्थान से अभिनय का कोर्स करने से पहले अपनी आजीविका के लिए बस कंडक्टर के रूप में भी काम किया। उनके करियर को तब पंख लगे जब महान निर्देशक के. बालचंदर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें 1975 में आई तमिल फिल्म अपूर्व रागंगल ((Apoorva Raagangal )) के लिए कास्ट किया

हालांकि कमल हासन और श्रीविद्या अभिनीत इस फिल्म में यह एक छोटी सी भूमिका थी, लेकिन रजनीकांत की स्टाइल और स्क्रीन पर उनकी शानदार उपस्थिति ने सबको प्रभावित किया। अपने शुरुआती दिनों में, रजनीकांत ने ज्यादातर निगेटिव किरदार या सहायक किरदार ही निभाए, जैसा कि 1976 में आई मूंदरू मुदिचु ((Moondru Mudichu)) , 1977 में आई ‘अवरगल’ ((Avargal)) 16 वायथिनिले ((16 Vayathinile)) में उन्हें देखा गया।

वहीं साल 1978 में आई भैरवी ((Bhairavi)) , अवल अप्पादिथन ((Aval Appadithan)) (1978) और मुल्लुम मलारुम ((Mullum Malarum)) में विलेन की भूमिका में वे दिखाई दिए। हालांकि ऐसे किरदारों के बावजूद उन्होेंने अपने ट्रेडमार्क स्टाइल को बरकरार रखा और
1970 के दशक के आखिर तक उन्होंने साल 1979 में रिलिरुन्थु अरुबाथु वराई (Aarilirunthu Arubathu Varai) और इसी साल निनैथले इनिक्कम (Ninaithale Inikkum) में नायक की भूमिकाएं निभाई।

लेकिन 1980 के दशक में आई फिल्मों ने उन्हें जननायक की छवि दिलाई। साल 1980 में अमिताभ बच्चन अभिनीत सुपरहिट फिल्म डॉन की रीमेक बनाई गई, जिसका नाम बिल्ला था, ये फिल्म रजनीकांत के करियर में गेम-चेंजर साबित हुई और इसने तमिल सिनेमा मेें रजनीकांत की छवि को फिर से संवारा। 1980 में आई मुरात्तु कलई ((Murattu Kaalai)) , 1981 में आई थिल्लू मुल्लू ((Thillu Mullu )) और 1982 में आई , मूंदरू मुगम, 1983 में आई पायुम पुली ((Paayum Puli)) और 1984 में आई फिल्म नल्लवानुक्कु नल्लावन ((Nallavanukku Nallavan)) (1984) जैसी हिट फिल्मों ने उनके प्रशंसकों में जबरदस्त इजाफा किया और साल दर साल ऐसी ही हिट फिल्मों ने उनके अभिनय का लोगों को दीवाना बना दिया।

यही वो दशक था जब रजनीकांत के सितारे तमिल फिल्मों के साथ ही हिंदी फिल्मों में यानि बॉलीवुड में भी जगमगाने लगे। उनकी हिंदी फिल्में जैसे 1983 में आई अंधा कानून (1983), साल 1985 में आई गिरफ्तार, साल 1989 में आई चालबाज़, 1991 में आई ‘हम’ और साल 2000 में आई बुलंदी ने वॉलीवुड में भी स्टार बना दिया। बॉलीवुड के साथ पूरा देश का प्यार मिलने के बाद भी उन्होंने तमिल सिनेमा से अपना नाता नहीं तोड़ा वे लगातार तमिल फिल्में करते रहे।

1991 मेें आई थलपति ((Thalapathi)) , साल 1992 में आई अन्नामलई ((Annamalai)) के साथ ही वल्ली और वीरा जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने उनके किरदारों को जीवंत बना दिया। मणिरत्नम की निर्देशित गैंगस्टर ड्रामा फिल्म थलपति रजनीकांत के करियर में मील का पत्थर साबित हुई। साल 1995 में आई फिल्म बाशा ((Baashha)) ने जननायकों की अवधारणा को नए सिरे से परिभाषित किया। इस फिल्म में उनके एक हिंसक अतीत के बाद भी साधारण ऑटो चालक की भूमिका को लोगों ने सिर आंखों पर बिठाया।

इसके बाद उन्होंने 1995 में आई फिल्म मुथु ((Muthu)) 1997 में आई अरुणाचलम (1997) जैसी फ़िल्में बनाईं, जो जापान में एक बड़ी हिट साबित हुईं। साल 1999 मेें आई पारिवारिक ड्रामा, रोमांस और जननायकों के मिश्रण वाली पदयप्पा ((Padayappa)) उनकी सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में से एक बन गई।

2000 के दशक में रजनीकांत ने कई फिल्में की। हालांकि 2002 में आई फिल्म बाबा ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई लेकिन उन्होंने 2005 में फिर से साइको-हॉरर कॉमेडी फिल्म चंद्रमुखी ((Chandramukhi )) के साथ वापसी की। जो कि मलयालम हिट फिल्म मणिचित्राथज़ु ((Manichithrathazhu)) की रीमेक थी और सबसे लंबे समय तक चलने वाली तमिल फ़िल्मों में से एक बन गई।

2007 में आई शंकर द्वारा निर्देशित शिवाजी ने बॉक्स-ऑफिस पर नए रिकॉर्ड बनाए, जिससे रजनीकांत जैकी चैन के बाद एशिया में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले अभिनेता बन गए। शंकर द्वारा ही निर्देशित साल 2010 में आई फिल्म एंथिरन ((Enthiran)) ने उस समय के सभी भारतीय फ़िल्म के रिकॉर्ड तोड़ दिए, जिसे हिंदी फिल्म में रोबोट का नाम दिया गया। इस फिल्म में रजनीकांत ने वैज्ञानिक वसीगरन और रोबोट चिट्टी की दोहरी भूमिकाएं निभाईं।

2000 के दशक में भी उन्होंने कोचादइयां ((Kochadaiiyaan)) भारत की पहली फोटोरियलिस्टिक मोशन कैप्चर फ़िल्म लिंगा, कबाली (2016) और काला (2018) जैसी फिल्मों में काम किया। 2023 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म जेलर और रोबोट की सीक्वल 2.0 ने दुनिया भर में करीब 600 करोड़ से ज़्यादा की कमाई करके पूरे भारत में धूम मचा दी।

अब, 2025 में, रजनीकांत लोकेश कनगराज की निर्देशित “कुली” के साथ वापसी कर रहे हैं। जो 14 अगस्त से सिनेमाघरों में आ रही है। आमिर खान, नागार्जुन और श्रुति हासन जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म को एक ज़बरदस्त एंटरटेनमेंट फिल्म बताया जा रहा है। जिसकी एडवांस बुकिंग खूब हो रही है, फिल्म के रिलीज होने से पहले ही उसकी कामयाबी से ये साबित होता है कि 50 साल बाद भी बॉक्स ऑफिस पर सुपरस्टार रजनीकांत का जलवा बेजोड़ है।

पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय से, रजनीकांत ने तमिल, हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बंगाली भाषाओं में 170 से ज़्यादा फ़िल्मों में अभिनय किया है। उन्हें पद्म भूषण पद्म विभूषण (2016) और दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2019) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। एक खलनायक से लेकर एक वैश्विक सुपरस्टार तक का उनका सफ़र भारतीय सिनेमा की सबसे प्रेरणादायक सफलता की कहानियों में से एक है।

रजनीकांत की सफलता सिर्फ़ फ़िल्मों तक सीमित नहीं है, यह उनके शाालीन स्वभाव के लिए भी है। स्टाइलिश चाल, चश्मे का झटपट उतारना, तीखे संवाद ने तो दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया ही है साथ ही पर्दे के पीछे उनकी विनम्रता ने भी लोगों का दिल छुआ है। इतनी अपार प्रसिद्धि के बावजूद, वे आध्यात्मिक, परोपकारी और ज़मीन से जुड़े हुए हैं।और इसलिए वे अपने प्रशंसकों के लिए, सिर्फ़ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक भावना, प्रेरणा का स्रोत और दृढ़ता के प्रतीक हैं।

अपूर्व रागंगल से लेकर आज तक के उनके करियर के 50 सालों के शानदार सफर को संजोए फिल्म कुली सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। ये रजनीकांत की विरासत, जुनून, नए-नए किरदार और दर्शकों के साथ एक अटूट बंधन का प्रमाण है। भारतीय सिनेमा के “थलाइवर” आज भी दिलों पर राज करते हैं और साबित करते हैं कि असली सुपरस्टारडम समय के साथ और भी मज़बूत होता जा रहा है।

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