US tariffs: अमेरिकी टैरिफ की चिंता न करें किसान, नए बाजार तलाशेंगे- मंत्री शिवराज चौहान

US tariffs: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से अमेरिका के बढ़ते टैरिफ के कारण मौजूदा “कठिन समय” को लेकर “चिंता नहीं करने” का आग्रह किया और कहा कि विशाल भारतीय बाजार कृषि उपज के निर्यात के लिए नए क्षेत्रों की तलाश करेगा। भारत के स्पष्ट रुख पर जोर देते हुए चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जो कहा था – कि “वे देश के किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े” – वो “भारत और भारतीय किसानों की आवाज” है।

अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, जबकि दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। यह व्यापार समझौता भारत के कृषि और डेयरी बाजार तक बेहतर पहुंच की अमेरिका की मांग के कारण अटका हुआ है। उन्होंने यहां पूसा परिसर में किसान नेताओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा, “किसानों, चिंता मत करो। देखते हैं क्या होता है,  हम 140 करोड़ लोगों का देश हैं। थोड़ी मुश्किलें आएंगी, लेकिन हम देखेंगे। हम नए बाजार तलाशेंगे। भारत इतना बड़ा बाजार है कि इसकी खपत यहीं होगी।”

अमेरिका की जनसंख्या केवल 30 करोड़ है, जबकि यूरोप की जनसंख्या 50 करोड़ है। उन्होंने कहा, “भारत की 140 करोड़ की आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है।” उन्होंने आगे कहा, “ये हमारी परीक्षा की घड़ी है और हमें (अमेरिका के सामने) झुकने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने कहा, “झुकने का काम नहीं है। समझौता बराबरी पर होता है। थोड़े हमारे, थोड़े तुम्हारे।” मंत्री ने आगे कहा कि अमेरिका को कृषि क्षेत्र को अलग रखना चाहिए क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच कृषि कार्यों और कृषि जोत के पैमाने की कोई “सही तुलना” नहीं है।

भारत की तुलना में आनुवंशिक रूप से संशोधित और अन्य तकनीकों के उपयोग के कारण अमेरिका में प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत भी कम है। मंत्री ने कहा कि अमेरिकी किसानों के पास 10,000-15,000 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जबकि भारतीय किसानों के पास तीन एकड़ से भी कम है। अमेरिका अपने सोयाबीन, मक्का, गेहूं और अन्य उत्पादों को यहां भेजना चाहता है।

उन्होंने कहा, “अगर यह यहां आसानी से पहुंच गया, तो स्थानीय कीमतों में और गिरावट आएगी। फिर हमारे किसान कहां जाएंगे? इसलिए, ये फैसला लिया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसानों के हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।” मंत्री ने किसानों से आयातित उत्पादों के बजाय स्थानीय (स्वदेशी) उत्पाद खरीदने का भी आह्वान किया और उनसे “स्वदेशी मंत्र” अपनाने और ग्रामीण भारत में एक आंदोलन चलाने की अपील की।

चौहान ने यह भी दोहराया कि सरकार केवल वैज्ञानिक रूप से परीक्षित जैव-उत्तेजक पदार्थों की बिक्री की अनुमति देगी और बीज, कीटनाशक और उर्वरक जैसे नकली और मिलावटी फसल सामग्री के उत्पादन और वितरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “पूरा देश आशंकित था, समझौता, टैरिफ कई की तो सांसें थम रहीं थीं। कुछ लोग प्रतीक्षा कर रहे थे फंस जाए कहीं, समझौता हो जाए तो, लेकिन आज मैं पूरे संतोष के साथ कह रहा हूं, पहले भी हमने कहा था, बैठकों के कई दौर हुए, भारत ने एक स्टैंड लिया साफ, हमारा किसान कोई मुकाबला है क्या? हमारे नेताओं ने बात बिल्कुल सही कही, बिल्कुल सही बात कही, उनकी लैंड होल्डिग कितनी है आपको पता है 10 हजार हेक्टेअर, 15 हजार हेक्टेअर, एकड़ नहीं हेक्टेअर के फॉर्म हाउस, हेलीकॉप्टर उतार दें फॉर्म हाउस में। और हमारा किसान एक एकड़, डे़ढ़ एकड़, दो एकड़, ढाई एकड़, तीन एकड़ और कई के पास तो पौन एकड़, आधा एकड़ भी जमीन है भाई। थोड़ी-थोड़ी जमीन है हमारे पास। क्या मुकाबला फेयर है ये?”

 

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