Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी उफान पर बह रही है। नदी के किनारे और शहर के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की कमाई और जनजीवन पर असर पड़ा है।
गंगा नदी खतरे के निशान को पार पर गई, जिसकी वजह से नदी के किनारे बने कई घाट पानी में समा गए, घाटों पर पानी भरने से पुजारियों की आजीविका ठप है। पारंपरिक रूप से किए जाने वाले अनुष्ठानों को ऊंचाई वाली जगहों पर किया जा रहा है।
घाट के साथ ही गंगा के पास बनी बस्तियां भी जलमग्न हो गई हैं, इससे लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। हालात इस कदर खराब हैं कि लोगों को दूसरे इलाकों में जाना पड़ रहा है।
बाढ़ जैसे हालातों की वजह से इलाके के लोगों के सामने खाने-पीने और जरूरी सामान की किल्लत खड़ी हो गई है, हालांकि जिला अधिकारी ने बड़े पैमाने पर राहत अभियान शुरू किया है। लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है, उनके खाने-पीने की व्यवस्था की गई है।
उत्तर भारत समेत राज्य के कुछ हिस्से में लगातार हो रही बारिश की वजह से प्रदेश की प्रमुख नदी गंगा और यमुना पूरे उफान पर है, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में बाढ़ राहत और बचाव के लिए मंत्रियों की विशेष टीम का गठन किया है। इसे ‘टीम-11’ नाम दिया गया है।
स्थानीय पुजारी अरविंद मिश्रा ने कहा कि “अस्सी घाट का तो यही नजर आ रहा है कि गंगा का रौद्र रूप है। गंगा का जलस्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यही दिक्कत है, सावन का आखिरी सोमवार है, भीड़ भी हो रही है। पूजा-पाठ चल रहा है, आर्ति रोड पर हो रही है, आवागमन भी बंद है।”
स्थानीय निवासियों का कहना है कि “अभी तक तो घर में पानी आ रहा है, इतनी सारी सामाग्री है यहां पर, इतने प्रभु है यहां पर। इनको कल रात से हटा रहे हैं। पानी अभी लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी हमने देखा कि छह इंच पानी बढ़ा सुबह से और पानी का रफ्तार ऐसे धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।”
इसके साथ ही जल पुलिस के उपनिरीक्षक सतेंद्र कुमार ओझा ने बताया कि “जल पुलिस, एनडीआरएफ जवान लगे हुए हैं हर एक प्वाइंट पर और जो भी बाढ़ में फंसे हुए हैं, बाढ़ शिविर लगाया गया है, उनको वहां तक पहुंचा रहे हैं। अगर कोई घर में फंसा है तो उसे भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। जो सामाग्री है उसको भी पहुंचाया जा रहा है।”