Lok Sabha: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में होगी 16 घंटे की बहस, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे शुरुआत

Lok Sabha: संसद के मानसून सत्र में पहले हफ्ते के हंगामे के बाद आज से पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर तीखी बहस शुरू होने वाली है क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े इन दो मुद्दों पर आमने-सामने होने की तैयारी में हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और विपक्षी दलों द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में इस चर्चा के दौरान अपने शीर्ष नेताओं को शामिल किए जाने की उम्मीद है।

गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन मुद्दों पर बोलेंगे। इसके अलावा ऐसे भी संकेत हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ अपनी सरकार के “मजबूत” रुख से अवगत कराने के लिए दखल दे सकते हैं।

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और कई दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल सकते हैं। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर और अन्य मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण सत्र का पहला हफ्ता लगभग बेकार चला गया था, जिसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 25 जुलाई को कहा था कि विपक्ष सोमवार को लोकसभा में और मंगलवार को राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गया है।

दोनों पक्षों ने दोनों सदन में 16 घंटे की मैराथन बहस के लिए सहमति जताई है। अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे मंत्रियों और नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से उन सात बहुदलीय नेताओं को भी मैदान में उतारने की उम्मीद है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए दुनिया की 30 से ज़्यादा राजधानियों की यात्रा की थी। इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जेडीयू के संजय झा और टीडीपी के हरीश बालयोगी आदि शामिल हैं।

इस बात पर एक बड़ा सवालिया निशान है कि क्या शशि थरूर, जिन्होंने अमेरिका समेत अन्य देशों में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, उनको कांग्रेस द्वारा वक्ता के रूप में चुना जाएगा क्योंकि थरूर द्वारा आतंकी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का समर्थन करने के कारण उनकी पार्टी के साथ उनके संबंध खराब हो गए हैं। विपक्षी दलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे कथित खुफिया चूक और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के इर्द-गिर्द सरकार की जमकर आलोचना की है।

राहुल गांधी ने बार-बार सरकार की विदेश नीति पर हमला बोला है और दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर पर भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला और सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधने के लिए ट्रंप के लगातार मध्यस्थता के दावों का हवाला दिया है। सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया है। पीएम मोदी ने खुद ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की है, जिसने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। यह अपने मकसद को सौ फीसदी पूरा करने और भारत के स्वदेशी रक्षा हथियारों और प्रणालियों की क्षमता को साबित करने के लिए किया गया।

बीजेपी और उसके सहयोगियों ने आतंकवाद से लड़ने में पीएम मोदी की ओर से अपनाई गई “नई सामान्य स्थिति” पर प्रकाश डाला है, जिसमें पाकिस्तान के भीतर आतंकी पनाहगाहों पर हमला करना और सिंधु जल समझौते को स्थगित करना शामिल है। भारत द्वारा आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले करने के बाद पाकिस्तान द्वारा जवाबी कार्रवाई में दोनों देशों के बीच चार दिनों तक संघर्ष चला। भारत ने दावा किया है कि पड़ोसी देश के कई हवाई ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है और पाकिस्तान के संपर्क करने के बाद दोनों पक्ष सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में एक “नई सामान्य स्थिति” बनाई है और वह आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई अंतर नहीं करेगा। सरकार और विपक्ष के बीच विवाद का एक मुद्दा ये है कि विपक्ष बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर संसद में चर्चा की मांग कर रहा है।

एकजुट विपक्ष ने पहले हफ्ते में मुख्यतः इसी मुद्दे पर संसद की कार्यवाही ठप रखी क्योंकि उसका दावा है कि इस कवायद का मकसद चुनावी राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन को फायदा पहुंचाना है, जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि उसका पूरा ध्यान केवल योग्य लोगों को ही वोट डालने पर है। रिजिजू ने कहा है कि संसद में एक साथ हर मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती और सरकार नियमों के अनुसार बाद में एसआईआर पर बहस की मांग पर फैसला लेगी।

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