Vice president: भारत के 17वें उप-राष्ट्रपति का चुनाव कराने के लिए कदम आगे बढ़ाते हुए निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी को चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया। जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके कारण ये चुनाव कराना आवश्यक हो गया है, धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को समाप्त होना था।
निर्वाचन आयोग ने बयान में कहा कि कानून और न्याय मंत्रालय से परामर्श करके और राज्यसभा के उप-सभापति की सहमति के बाद उसने 2025 के उप-राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पी सी मोदी को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है। निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा सचिवालय की संयुक्त सचिव गरिमा जैन और राज्यसभा सचिवालय के निदेशक विजय कुमार को सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।
निर्वाचन आयोग केंद्र सरकार के परामर्श से एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है, जिसका कार्यालय राष्ट्रीय राजधानी में होगा और वे एक या एक से अधिक सहायक निर्वाचन अधिकारी भी नियुक्त कर सकता है। प्रक्रिया के अनुसार लोकसभा महासचिव या राज्यसभा महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जाता है, पिछले उप-राष्ट्रपति चुनाव के दौरान लोकसभा के महासचिव निर्वाचन अधिकारी थे।
चुनाव प्राधिकरण ने संसद के दोनों सदनों के सांसदों वाले निर्वाचक मंडल का गठन शुरू कर दिया है, निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य उप-राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उपराष्ट्रपति पद से धनखड़ के इस्तीफे की औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी। संविधान के अनुच्छेद 68 के खंड 2 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के निधन, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद रिक्त होने के ‘‘तुरंत बाद’’ कराया जाएगा।
उप-राष्ट्रपति चुने जाने वाला व्यक्ति ‘‘पदभार ग्रहण करने की तारीख से पांच वर्ष की पूर्ण अवधि तक’’ पद पर बना रहेगा।
‘‘निर्वाचक मंडल को मतदान के लिए बुलाने’’ की अधिसूचना जारी होने के दिन से लेकर मतदान तक 30 दिन का समय निर्धारित है। कोई व्यक्ति उप-राष्ट्रपति के रूप में तब तक निर्वाचित नहीं हो सकता जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो, 35 वर्ष की आयु पूरी न कर चुका हो और राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के योग्य न हो। कोई व्यक्ति जो भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर हो, वे भी उपराष्ट्रपति के पद के लिए पात्र नहीं है।