Haryana: हरियाणा सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक अहम फैसला लेते हुए राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में प्रातःकालीन प्रार्थना सभा में भगवद् गीता के श्लोकों को शामिल करने का निर्देश जारी किया है, यह निर्णय हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा लिया गया है और इसे सभी स्कूलों में लागू करने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
इस नई पहल के तहत अब हर सुबह की स्कूल असेंबली में एक गीता श्लोक का पाठ किया जाएगा, साथ ही उसका सरल अर्थ भी छात्रों को बताया जाएगा। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों, आध्यात्मिक जागरूकता और जीवन के सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इस फैसले की प्रेरणा उत्तराखंड से मिली है, जहां पहले से ही सरकारी स्कूलों की मॉर्निंग प्रेयर में गीता पाठ को शामिल किया जा चुका है। हरियाणा सरकार का मानना है कि भगवद् गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह जीवन के व्यवहारिक और नैतिक सिद्धांतों को सिखाने वाला एक दार्शनिक ग्रंथ है, जिससे बच्चों के चारित्रिक विकास में मदद मिलेगी।
हालांकि इस फैसले को लेकर मिलाजुला प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। जहां कई शिक्षाविद और अभिभावक इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और इसे सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने वाला बता रहे हैं, वहीं कुछ वर्गों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि शिक्षा में धर्म आधारित तत्वों को शामिल करने से धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली पर असर पड़ सकता है।
बावजूद इसके, शिक्षा विभाग का कहना है कि यह कदम किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि गीता के माध्यम से सार्वभौमिक नैतिकता और आत्मानुशासन को बढ़ावा देने के लिए है। विद्यालयों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे श्लोकों के उच्चारण और उनके अर्थ को बच्चों के स्तर के अनुसार सरल भाषा में प्रस्तुत करें ताकि हर छात्र उसे समझ सके और उससे सीख ले सके।