Sawan: उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक शिव मंदिरों में गूंजे ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे

Sawan: सावन के महीने के पहले सोमवार को देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है, सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है, सावन के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक श्रद्धालु पूरी आस्था और भक्ति के साथ पूजा-पाठ कर रहे हैं। दोनों ही राज्यों में स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं।

सावन के पहले सोमवार की शुरुआत वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्य मंगला आरती के साथ हुई, भक्तों ने भगवान शिव को जल, दूध, चंदन समेत पवित्र सामग्री अर्पित की। भोले का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में हजारों श्रद्धालु कतार में खड़े नजर आए। श्रद्धालुओ का कहना है कि “प्रशासन बहुत अच्छा है। बहुत अच्छा काम कर रही है और अच्छे से हम लोग दर्शन किए हैं मतलब भीड़ तो बहुत है बहुत ज्यादा भीड़ है। पर ये है प्रशासन की अच्छी व्यवस्था के कारण कोई भगदड़ नहीं है, कोई ऐसा कुछ अव्यवस्था जैसा कुछ नहीं है।”

भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात निगरानी ड्रोन सहित उच्च तकनीक वाले सुरक्षा उपायों के बीच भक्तों का स्वागत पुष्प वर्षा से किया गया। पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने बताया कि “इस बार यहां पर एक डेडिकेटेड टी-3 ड्रोन लगाया गया है। जिससे कंटीनियस निगरानी भीड़ की हो रही है। इसके अलावा जो कांवड़ियों के मार्ग हैं। उन मार्गों पर भी ड्रोन का प्रयोग हो रहा है और उसकी फीड कंट्रोल रूम तक उच्च अधिकारियों तक पहुंच रही है। जिसके माध्यम से वो पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।”

गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर से भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें आईं। हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे, मान्यता है कि रावण इस मंदिर में प्रार्थना और ध्यान किया करता थे, जहां शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है “सोमवार है यहां मान्यता ज्यादा है सोमवार की। हर सोमवार की है पर पहले सोमवार को ज्यादा रश होता है यहां और सारे भक्तगण यहां आते हैं, अपनी मान्यता पूरी करवाते हैं भोलेनाथ से और काफी पुराना मंदिर है ये दूधेश्वरनाथ।

सावन के पहले सोमवार पर बाराबंकी के लोधेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा, जैसे ही मंदिर के कपाट खुले पूरा प्रांगण ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठा और भक्त जलाभिषेक के लिए कतारों में खड़े हो गए। पुजारी ने बताया कि “यह सावन महीना पूरा का पूरा महीना शिव जी को समर्पित है। आज पहला सोमवार है। सावन के हर सोमवार को मेला होता है और सावन की व्यवस्था भी बहुत बढ़िया की गई है इस बार अधिकारियों द्वारा व्यवस्था की जाती है, इस बार बहुत बढ़िया व्यवस्था है। आज सावन का पहला सोमवार है आप देख रहे हैं ये तीन बजे से ही हजारों श्रद्धालु लाइन में लगे हुए हैं। दो लाइन बनाई गई हैं एक लाइन में महिलाएं प्रवेश करेंगी। एक में पुरुष प्रवेश करेंगे। पुलिस प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर रखी है और प्रशासन की तरफ से और जो व्यवस्थाएं थीं वो पूर्ण कर ली गई हैं।”

प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर में भी अद्भुत नजारा दिखा। सावन के पहले सोमवार पर मंदिर में पंचामृत अभिषेक किया गया। पवित्र शिवलिंग को शहद, घी, दही, दूध और गन्ने के रस से अभिषेक किया। भगवान शिव को ‘मनकामेश्वर’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है- ‘मन की इच्छाओं को पूरा करने वाला’।

श्रद्धालुओ का कहना है कि “यह मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है, बहुत साल पुराना मंदिर है यह। पहले यहां जोधाबाई आया करती थीं दर्शन करने के लिए। ये यहां पर शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ है। यहां पर जो भी मान्यता आप मानते हो वो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।” बहुत ही शांति प्रिय ढंग से सुबह से भक्तों की कतारें लगी हुई हैं और शांतिपूर्वक दर्शन हो रहे हैं। मंदिर की व्यवस्था बहुत अच्छी और उत्तम। किसी भी भक्त को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है, सभी शांतिपूर्वक दर्शन कर रहे हैं। ये मनकामेश्वर मंदिर। ये बहुत ज्यादा ही मतलब भव्य मंदिर है और यहां पर हम हमेशा से आते हैं। हम महीने दो से तीन सोमवार हर हाल में आते हैं यहां पर और बहुत अच्छा लगता है और जोे भीड़ आज है यहां पर उतनी भीड़ हमेशा रहती है।”

लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है, यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु मंदिर में प्रशासन की तरफ से किए गए इंतजामों की सराहना कर रहे हैं। पवित्र नगरी अयोध्या के नागेश्वर नाथ मंदिर में भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। इसके साथ ही सावन के पहले सोमवार पर पवित्र नगरी हरिद्वार भी ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठी। शहर के प्रसिद्ध दक्ष मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को जल चढ़ाया।

“ये बहुत प्राचीन मंदिर है, बहुत मान्यता है। भगवान से जो भी मांगो वो यहां मिल जाता है। किसी को कुछ नहीं चाहिए प्रभु से। सब भगवान इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि वो जल के लोटे से ही प्रसन्न हो जाते हैं वो तो। आने से दर्शन मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। बहुत कृपा है इनकी जो भी इनके दरबार में आता है कभी खाली नहीं गया। कोई झोली उन सबकी भर जाती है किसी की झोली खाली नहीं रहती है, हर हर महादेव।”

हरिद्वार के दक्ष मंदिर की भगवान शिव के भक्तों और कांवड़ियों के बीच काफी मान्यता है। यह मंदिर भगवान शिव और देवी सती को समर्पित है, सावन के महीने में कांवड़िए शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए गंगा नदी से पवित्र जल लेकर आते हैं।

वही देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर में काफी भीड़ लगी हुई है। सैकड़ों श्रद्धालु यहां धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करने पहुंच रहे हैं। पुजारी ने बताया कि “सावन माह को पवित्र माह इसलिए माना जाता है, माता पार्वती ने ही कठिन तपस्या करने के बाद ही पति शिव जी को पति के रूप में पाया था। इसलिए सावन माह को पवित्र माह माना जाता है। सावन माह मे सबसे विशेष चीज हमें कि जब सावन माह में ही सोमवार के व्रत रखा जाता है उनका विशेष रूप से पालन किया जाता है। जैसे मांस-मदिरा इन चीजों से हमें सावन माह में दूर रहना चाहिए।”

“पहला सोमवार जो है कि एक तो ये अपने आप में ही अद्भुत है कि सावन का महीने और उसका पहला सोमवार है। जलाभिषेक करने का मौका हमें भी मिला और क्या नाम है हम इसमें जलाभिषेक कर पाए और यही मौका हमें कांवड़ लाने का भी मिला तो इससे सच्चा सौभाग्य हमें नहीं मिल सकता कि पहला सोमवार में हम अपना जलाभिषेक कर रहे हैं।”

कहा जाता है कि सावन के पहले सोमवार पर अगर श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजन किया जाए, तो भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।

मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच जो समुद्र मंथन हुआ था, वो सावन के महीने में ही किया गया था। समुद्र मंथन देवताओं और असुरों के बीच हुआ एक ऐसा मंथन है, जिसमें 14 रत्न निकले थे। भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पिया था, ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक सावन जुलाई और अगस्त के बीच पड़ता है, जब भारत में मानसून का मौसम चल रहा होता है।

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