Uttarakhand: हिल स्टेशनों पर सैलानियों और निवासियों की सहूलियत के लिए तकनीक का सहारा

Uttarakhand: उत्तराखंड के नैनीताल और मसूरी जैसे हिल स्टेशनों पर सैलानियों की बढ़ती संख्या प्रशासन और वहां रहने वालों के लिए भारी सिरदर्दी है, लंबा ट्रैफिक जाम, सीमित संसाधनों पर भारी दबाव और रोजमर्रा की जिंदगी में रुकावट से आम लोग चिंतित हैं।

भारी ट्रैफिक, संसाधनों की कमी और रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने के लिए पर्यटन विभाग ने नैनीताल और कैंची धाम में सर्वे शुरू किया है कि यहां अधिकतम कितने लोग और गाड़ियां आ सकती हैं। इसके नतीजों के आधार पर सैलानियों की संख्या पर नियंत्रण के लिए पर्यटक पंजीकरण प्रणाली शुरू की जा सकती है, वास्तविक समय में गाड़ियों और लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली या एएनपीआर और हेडकाउंट कैमरे लगाए जाएंगे।

मसूरी में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों ने संतुलन बनाने की योजना, आधुनिक बुनियादी ढांचे और विस्तार से सलाह-मशविरा की पैरोकारी की है। ये संतुलन सैलानियों की संख्या और यहां रहने वालों की जरूरतों को लेकर होगा। सैलानियों ने सरकार की कोशिशों का स्वागत किया है, वह मानते हैं कि सरकार ये कदम उन्हीं की सहूलियत के लिए उठा रही है। कई लोगों का मानना ​​है कि ट्रैफिक और आगंतुकों की संख्या को नियंत्रित रखने से भीड़भाड़ कम होगी, प्रदूषण कम होगा और हिल स्टेशनों का प्राकृतिक आकर्षण बना रहेगा।

उत्तराखंड सरकार का मकसद इन उपायों के जरिए ट्रैफिक में सुधार करना और खूबसूरत हिल स्टेशनों को सुरक्षित रखना है। इसका मकसद आम लोगों को आराम और सैलानियों के सफर को आसान बनाना है। साथ ही हिल स्टेशनों के पर्यावरण की रक्षा करना है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि “जो यहां पर लोग आते हैं ठीक है मैं उनका स्वागत करता हूं पर यहां पर जो जाम की व्यवस्था जैसे हमको स्थानीय लोगों को काफी नुकसान होता है। कई लोग यहां समय पर ऑफिस नहीं पहुंच पाते हैं। जैसे गाड़ी से जाना है और स्कूली बच्चों को होता है काफी रोड पर यहां पर चलने के लिए यहां पर सामना करना पड़ता है। जैसे मरीज आते हैं मैंने अभी यहां पर देखा अभी बीच में दुर्घटना भी यहां पर घटी है। तो कहीं ना कहीं इसके लिए नैनीताल में अत्यधिक वाहन का जो भार है वो जिम्मेदार तो है ही।”

पर्यटन सचिव धीरज सिंह गरब्याल ने कहा कि “हमारी एक टीम अब वहां (नैनीताल) जा रही है और चली भी गई है। वो स्टडी करेगी वहां पर उसकी कैरिंग कैपेसिटी की भी स्टडी करेंगे हम लोग और साथ ही साथ जो दर्शन लोगों का आराम से हो। उसमें कोई दिक्कत ना हो। कुछ लोकेशंस में हम लोग एएनपीआर कैमरे वगैरह भी लगा रहे हैं ताकि जितनी गाड़ियों का मूवमेंट है उसको केच कर लें हम लोग और हैड काउंट करने के लिए मंदिर परिसर में कैमरे वगैरह भी इंस्टॉल कर रहे हैं, जिसकी वजह से हमें एक्जेक्ट एक खाका हमें मिल पाएगा कि कितने दर्शनार्थी आ रहे हैं और कितने टूरिस्टों को मूवमेंट उस एरिया में हो रहा है।”

मसूरी होटल एसोसिएशन के सचिव अजय भार्गव ने कहा कि “यह न दो दिन पहले हम लोगों की एक वार्ता हुई है पर्यटन सचिव के साथ और उसमें हम लोगों के द्वारा भी सुझाव दिए गए। उनके द्वारा भी वार्ता की गई हम लोगों के साथ कि हमारे को किस तरीके से हम पर्यटन में और पर्यावरण में एक संतुलन बना सकें। उसको लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि देखिए, यहां पर जो है बहुत सारी चीजें हैं अगर हम ट्रैफिक की बात करते हैं, तो हमरा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करना एक बहुत जरूरी एक कदम बन गया है इस समय जहां पर कि हम पार्किंग डेवलप करें।”

उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव साहनी ने कहा कि “हम क्या चाह रहे हैं कि हमारे पास जो पर्यटक आएं उसकी हमारे पास गिनती रहे। उसका हमारे पास रिकॉर्ड रहे या हम चाह रहे हैं कि उसकी संख्या सीमित करी जाए। ये दो अलग-अगल विषय हैं और अगर हमें उससे सिर्फ एक जानकारी लेके जोकि उसके हिसाब से हम व्यवस्थाएं बनाएं हम शहर में। मान लीजिए आज क डेट में हमारे पास शहर में व्यवस्था 10,000 आदमियों की है और 12,000 आ जाते हैं। तो 2,000 अतिरिक्त लोगों की क्या व्यवस्था करनी है। अगर वो है मकसद तब तो अच्छी चीज है।”

सैलानियों कहना है कि “सरकार जो भी करेगी अपने पॉइंट ऑफ व्यू से अच्छा ही करेगी। हम लोगों के लिए बेस्ट ही होगा वो तो जो भी वो करेगी। यहां एक-दो चीज और भी सही जैसे मॉल रोड पर गाड़ियां आने-जाने का ये बंद ही कर देना चाहिए। नहीं तो यहां पर ये मॉल रोड बहुत ही छोटा एरिया है, बहुत कम अगर गाड़ियां अगर गाड़ी बंद रहेगी तो अच्छा रहेगा हमारे लिए, सबके लिए। हां, यहां पर गाड़ियां रहता है तो प्रॉब्लम आता है आने-जाने वालों के लिए। चाहे टूरिस्ट लोग के लिए ये बात है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *