New Delhi: भारत-पाकिस्तान के आपसी रिश्ते तनावपूर्ण हैं। फिर भी भारत ने कुछ खेल आयोजनों में पाकिस्तान की भागीदारी को मंजूरी दी है। इनमें हॉकी एशिया कप, जूनियर विश्व कप और जूनियर शूटिंग विश्व कप जैसे आयोजन शामिल हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई। हमले में 26 बेगुनाह मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर सैलानी थे। जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
भारत में पाकिस्तान के खिलाफ भारी आक्रोश है। फिर भी भारत ने बहुराष्ट्रीय आयोजनों में पाकिस्तान की भागीदारी को मंजूरी दी है। इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, भारत में आयोजित कार्यक्रमों में पाकिस्तान को भाग लेने से रोकना ओलंपिक चार्टर के नियम 44 के विरुद्ध होगा। ये नियम राजनीति, जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव के खिलाफ है।
छह साल पहले पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा देने से इनकार कर दिया था। इससे आईओसी ने भविष्य के कार्यक्रमों की मेजबानी के अधिकार पर भारत के साथ चर्चा बंद कर दी थी, उस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। 2036 ओलंपिक के लिए भारत की बोली अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुपालन पर निर्भर करती है, किसी भी देश को आने से मना करने से भारत की संभावनाओं को भारी झटका लग सकता है। लिहाजा ये जरूरी है कि भारत राष्ट्रीय भावना और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखे।
पूर्व राजनयिक अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि “सवाल है कि क्या राजनीति या भू-राजनीति और अंतरराष्ट्रीय खेल एक-दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं? यदि वे खुद को अलग-थलग करना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि भारत का ऐसा इरादा है। भारत पहले भी उन अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेता रहा है, जिनमें पाकिस्तानियों ने भी भाग लिया है।
हालांकि वह भारत में आयोजित नहीं हुए हैं। दूसरा, भारत 2036 ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए बोली लगा रहा है। ये भारत के लिए बहुत बड़ी बात है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि पाकिस्तान इसे सकारात्मक नजरों से देखेगा। उसे अहसास होगा कि वे भारत के खिलाफ सीमा पार से आतंकवाद जारी नहीं रख सकते।”
इसके साथ ही कहा कि “यह समझना जरूरी है कि ओलंपिक चार्टर ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय खेलों को नियंत्रित करता है। नियम 44 राजनीति, धर्म, जाति या किसी भी आधार पर भेदभाव के खिलाफ है। ऐसा नहीं कि पहले ये नहीं हुआ है। ऐसा पहले भी कुछ देशों ने किया।उन्हें अंतरराष्ट्रीय निकाय ने सजा दी। इसलिए ये बेहद संवेदनशील मामला है। हमें ओलंपिक चार्टर के अंतरराष्ट्रीय नियमों और विनियमों का पालन करना होगा। ये जरूरी है। बेशक इसमें राजनीतिक और आपसी रिश्तों की भूमिका है। शायद इसलिए भारत के पास भी यही विकल्प है कि किसी खास खेल में पाकिस्तान के साथ न खेलें। यानी, वॉकओवर दे सकते हैं। यही इकलौता रास्ता है, जो अपनाया जा सकता है।”