Amarnath Yatra: दक्षिणी कश्मीर में हिमालय की ऊंचाईयों पर अमरनाथ गुफा इन दिनों शिव भक्तों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, यही वह जगह है जहां प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। इसी जगह हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा करने और भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए लंबी यात्रा करते हैं।
माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन के सार तत्व के बारे में बताया था, दिलचस्प बात है कि जिस गुफा मंदिर में हिंदुओं की भारी आस्था है, उसकी खोज एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी। बताया जाता है कि 19वीं सदी के मध्य में पहलगाम के बूटा मलिक ने गुफा मंदिर की खोज की थी, बूटा मलिक की सातवीं पीढ़ी के मलिक अफजल गुफा मंदिर की खोज के बारे में बताते हैं।
बूटा मलिक की 7वीं पीढ़ी के सदस्य मलिक अफजल ने कहा कि “जो हमारा बूटा मलिक साहेब थे, वो वहां भेड़ बकरियां चराता था पहाड़ों में, तो उनको शंकर भगवान से आमने-सामने मुलाकात भी हुई, दर्शन भी हुआ था। तो वहां उनको सर्दी लगी, बहुत माइनस तापमान वहां रहता है, तो उसके बाद उन्होंने शंकर भगवान जी ने उनको एक कांगड़ी दी, कश्मीरी कांगड़ी, जब वो घर पहुंच गए वो सोने में बदल गई और एक पट्टा दिया था लिखकर के, जबकि उस वक्त के जो राजा-महाराज थे उन्होंने वो म्यूजियम में रखा है, जो उनको दिया गया था। फिर साधुओं का एक जत्था बाबा जी को ठूंठ रहा था। तो फिर बूटा मलिक उनके साथ गए।”
मलिक परिवार का दावा है कि पहले वही सालाना यात्रा का आयोजन करते थे। साल 2000 में अमरनाथ श्राइन बोर्ड का गठन हुआ, उन्हें अफसोस है कि बोर्ड के गठन के बाद से यात्रा के आयोजन में उनकी भागीदारी नहीं रही। गुलाम रसूक मलिक, बूटा मलिक की 6ठी पीढ़ी के सदस्य “उस वक्त आराम था, उस वक्त इधर फोर्स वगैरह नहीं था कश्मीर में, उस वक्त कश्मीर में शांति थी, थोड़ा बहुत दो-चार लोग जाते थे। कोई परवान नहीं होती थी, वह बिना किसी सुरक्षा के जाते थे।”
बेशक बूटा मलिक के वंशज अब हाशिये पर हैं, फिर भी उन्हें अमरनाथ गुफा की खोज करने वाले अपने पूर्वज पर फख्र है। उन्हीं की बदौलत अमरनाथ गुफा हिंदुओं की आस्था का केंद्र बना है। बूटा मलिक की 8वीं पीढ़ी के सदस्य राही अफजल मलिक ने कहा कि “इतिहास के हिसाब से जो है ये बूटा मलिक के परिवार से ही ये हुआ है, उन्होंने इस पवित्र अमरनाथ गुफा की खोज की थी। हमारे लिए ये गर्व की बात है कि हमारे वंश से ही किसी ने ये रास्ता दिखाया और इसे खोजा।”
हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा करने आते हैं। निश्चित रूप से वे इस परिवार के उस पूर्वज के आभारी हैं, जिन्होंने भगवान शिव से जुड़े अद्भुत गुफा मंदिर की खोज की थी, इस साल 38 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू हुई है, यात्रा नौ अगस्त तक चलेगी।