New Delhi: दिल्ली पुलिस ने एक व्यक्ति से 10.80 लाख रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में झारखंड के जामताड़ा से तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, एक अधिकारी ने बताया कि संदेह से बचने और स्थानीय लोगों की तरह दिखने के लिए पुलिस की एक टीम ने पारंपरिक आदिवासी पोशाक पहनकर आरोपियों की टोह ली और कई घंटे तक दूर से संदिग्धों पर नजर रखी।
अधिकारी ने यह भी दावा किया कि आरोपियों की गिरफ्तारी से जामताड़ा से साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान मुजफ्फर जिलानी (27), आफताब अंसारी (27) और मोहम्मद इकबाल रजा (24) के रूप में हुई है, जो जामताड़ा के करमाटार के रहने वाले हैं पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने एक बयान में कहा, “जामताड़ा पिछले कुछ सालों में भारत में संगठित साइबर धोखाधड़ी के केंद्र के रूप में कुख्यात हो गया है। हमने धोखाधड़ी में कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए पांच मोबाइल फोन, छह सिम कार्ड और एक डेबिट कार्ड बरामद किया है।”
दिल्ली के पालम निवासी केसी बर्थवाल (49) की शिकायत पर साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज होने के बाद धोखाधड़ी का मामला प्रकाश में आया। बर्थवाल ने आरोप लगाया कि पांच अप्रैल को उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई में एक सरकारी बैंक की क्रेडिट कार्ड शाखा का अधिकारी बताते हुए झूठा दावा किया कि उनके क्रेडिट कार्ड से 588.82 रुपये भुगतान हो गए हैं।
डीसीपी ने कहा कि “इसके बाद फोन करने वाले ने पीड़ित पर दबाव डाला कि वो उसके फोन पर भेजे गए लिंक पर क्लिक करके अपना क्रेडिट कार्ड सक्रिय या ब्लॉक कर दे। ये लिंक एक धोखाधड़ी वाली साइट पर ले गया, जो आधिकारिक बैंक पोर्टल जैसा था। इससे अनजान बर्थवाल ने लिंक खोला और अपने कार्ड का विवरण साझा किया।”
एक दिन बाद बर्थवाल को एक और कॉल आया जिसमें और भी ज्यादा निजी जानकारी ली गई। अगले कुछ दिनों में, उनके क्रेडिट कार्ड और लिंक्ड बैंक खाते से कथित तौर पर 10.80 लाख रुपये के अनधिकृत लेनदेन किए गए। प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद मामले में जांच शुरू हुई। टीम ने तकनीकी निगरानी की और आरोपियों की पहचान जामताड़ा क्षेत्र में की। डीसीपी ने बताया, “दो दिन की निगरानी कार्रवाई के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया। तीनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया और उनसे पूछताछ की गई।”
साउथ वेस्ट दिल्ली के एडिशनल डीसीपी अभिमन्यु पोसवाल ने कहा कि “13 अप्रैल, 2025 को हमारे पास एक केस आया था, रेजिडेंट थे पालम के उन्होंने बताया कि उनके अकाउंट से रफली अराउंड 10.95 लाख का अमाउंट डिफ्रॉड किया गया है उनको, थ्रू वेरियस मैसेज। वो तो हमने उसके अंदर अपनी एक टीम बनाई अपनी साइबर पीएस के थ्रू और सारे के सारे मेजर्स लिए जिसमें हमने आइडेंटिफाई किया कि एक केवाईसी का लिंक जनरेट किया गया था।
जिसको उनको इनफार्मेशन रिगार्डिंग क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, अदर थिंग्स और एक मलेशियस ऐप (वो ऐप्स होते हैं जो आपके डिवाइस को नुकसान पहुंचाने या आपकी जानकारी चुराने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं) और उनके फोन में डाउनलोड करी गई जो कस्टमर सपोर्ट के नाम से बानाया गया उसको उस एप ने इनका सारा डेटा जो भी स्टोर्ड था उनके फोन के अंदर या जो भी उन्होंने डाला उस लिंक के अंदर उसको यूज करते-करते मल्टीपल ट्रांजैक्शन के थ्रू 10.95 लाख के आसपास का जो अमाउंट था उसको विड्रॉल कर लिया गया।”