Ashadha Amavasya: आषाढ़ अमावस्या के मौके पर पवित्र स्नान के लिए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा दिख रहा है। अमावस्या हिंदू चंद्र कैलेंडर में उस दिन को कहते हैं जब चंद्रमा रात में आसमान में दिखाई नहीं देता है। यह चंद्र मास के अंधेरे पक्ष के अंत का प्रतीक है।
आषाढ़ माह आमतौर पर जून या जुलाई में आता है। पुजारी गोपाल ने बताया कि “आज अमावस्या है, आज के दिन प्रयागराज में स्नान करने से और ये जो अमावस्या बीत गई है क्या कहते हैं आषाढ़ की इसका विशेष लाभ मिलता है। जो लोग भगवान की कृपा से आषाढ़ को अमावस्या के दिन आकर प्रयाग में स्नान करते हैं उनके पितरो को मोक्ष और शांति प्राप्त होती है।
इस दिन ब्राहमणों को को कुछ दान देना चाहिए। खासकर भोजन करा दिया जाए या उन्हें कुछ गोदान(गाय का दान करना) दिया जाए, या उन्हें कुछ फल दिया जाए। तो भक्तों के लिए बड़ा ही लाभदायक होता है। ये आज के अमावस्या का विशेश महत्व है खास आषाढ़ का अमावस्या को।”
आषाढ़ अमावस्या पितरों को याद करने और उनका पिंडदान करने का शुभ दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तर्पण करने से पितृ दोष दूर होते हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही श्रद्धालुओ ने कहा कि “संगम का बहुत बड़ा महत्व है। आज जिनके पित्र नहीं हैं, उनको यहां पिंडदान (पूर्वजों की शांति के लिए अनुष्ठान) करना चाहिए, दान करना चाहिए। यही महत्व है।”
“आषाढ़ मास की अमावस्या है आज। पित्रों के परिवार के लिए भी विश्व कल्याण के लिए नमन करता हूं। दान-पुण्य का महत्व है ही, सनातन धर्म में, दान-पुण्य का विशेष महत्व है ही और स्नान के बाद स्नान तो महत्व है ही।”
आषाढ़ अमावस्या पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और आध्यात्मिक पुण्य अर्जित करने के लिए दान करते हैं।