Uttarakhand: उत्तराखंड जहां देवभूमि की हवा में श्रद्धा घुली है, जहां हिमालय की ऊँचाइयों को छूते हुए चारधाम यात्रियों की आस्था परवाज़ भरती है। लेकिन अब वहीं आस्था के इस सफर पर मंडरा रहा है एक और खतरा, हाल के दिनों में यहां हेलीकॉप्टर क्रैश की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जो ना केवल तीर्थयात्रियों के लिए खतरा बन रही हैं, बल्कि सुरक्षा पर भी सवाल उठा रही हैं।
15 जून को केदारनाथ से उड़ा एक हेलीकॉप्टर कभी गुप्तकाशी नहीं पहुंच पाया, गौरीकुंड के जंगलों में यह हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। “इस हादसे में पायलट राजवीर सिंह चौहान समेत सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें एक दो साल की मासूम काशी भी थी। शुरुआती जांच में खराब मौसम को इसका मुख्य कारण बताया गया, जिसमें कम दृश्यता और घने बादल शामिल थे।
इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस हादसे पर गहरा दुःख जताया। लेकिन सवाल अब इससे आगे हैं, हर बार मौसम ही दोषी? या उड़ानों की तैयारी में कहीं कोई चूक?”
चारधाम यात्रा 2025 को शुरू हुए अभी सिर्फ 50 दिन ही हुए हैं और इतने कम वक्त में हो चुके हैं 5 बड़े हादसे, एक नजर डालते है उन आंकड़ों पर-
8 मई 2025: उत्तरकाशी के गंगनानी में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ, जिसमें छह लोगों की मौत हुई और एक यात्री गंभीर रूप से घायल हुआ।
2 मई 2025: बद्रीनाथ से लौट रहा एक हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण राईका ऊखीमठ में आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।
17 मई 2025: केदारनाथ में एक हेली एंबुलेंस क्रैश लैंडिंग का शिकार हुई, सौभाग्यवश सभी यात्री सुरक्षित रहे।
7 जून 2025: केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे एक हेलीकॉप्टर की तकनीकी खराबी के कारण रुद्रप्रयाग में हाईवे पर क्रैश लैंडिंग हुई। इसमें कोई जनहानि नहीं हुई।
15 जून 2025: गौरीकुंड में आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर क्रैश, सात लोगों की मौत।
उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसों के पीछे मौसम, तकनीकी खामियां और रखरखाव की लापरवाही जैसे कई गंभीर कारण सामने आ रहे हैं। हिमालय का मौसम पल भर में बदल जाता है घना कोहरा, तेज हवाएं और कम दृश्यता पायलटों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती हैं।
वहीं तकनीकी खराबी और रखरखाव में कमी ने जोखिम और बढ़ा दिया है। पुराने और सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर, जिनमें इंजन फेल होने पर कोई बैकअप नहीं होता, ऐसे दुर्गम इलाकों में हादसों की आशंका को और गंभीर बना देते हैं।