Dehradun: उत्तराखंड में पिछले सालों के मुकाबले इस साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं काफी कम हुई हैं, अधिकारियों ने बताया कि अमूमन राज्य में फरवरी से जून के बीच बड़ी संख्या में जंगल में आग लगने की घटनाएं होती हैं, लेकिन इस साल सिर्फ 234 घटनाएं दर्ज की गईं। पिछले साल इनकी संख्या 1,200 से ज्यादा थी।
अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने कहा कि “इस बार जो फायर सीजन चला हमारा 15 फरवरी से लेके 15 जून तक, तो उसमें कुल जो वनाग्नि घटनाएं हुई हैं, वो 216 वनाग्नि घटनाएं हुई हैं, जिसमें प्रभावित क्षेत्रफल 234 हेक्टेयर है और अगर हम पिछले सालों की तुलना में देखते हैं यही आंकड़ा तो पिछले साल जो है, पूरे वनाग्नि सत्र में 1238 घटनाएं हुई थीं, जिसमें कि 1705 हेक्टेयर वन क्षेत्र जो प्रभावित हुआ था। तो लगभग पिछले साल के मुकाबले लगभग वन सिक्स्थ घटनाएं इस बार हुई हैं।”
अधिकारी आग लगने की घटनाओं में भारी कमी का श्रेय जागरूकता अभियान, समुदायों की सक्रिय भागीदारी और आधुनिक प्रौद्योगिकी को देते हैं।
उन्होंने कहा कि “वनाग्नि सत्र शुरू होने से पहले भी और बीच-बीच में भी सत्र के दौरान भी एक तो जागरूकता अभियान काफी वृहत स्तर पर चलाया गया था। जितने भी हमारे कम्यूनिटी इंस्टीट्यूशंस हैं, उनको जो है वनाग्नि प्रबंधन और नियंत्रण में भागीदारी के लिए मोबिलाइज किया गया। उनका सहयोग प्राप्त किया गया।
इस बार वनाग्नि प्रबंधन जो है, ऐप बेस्ड मैनेजमेंट भी रहा है। फॉरेस्ट फायर मोबाइल ऐप भी विकसित की गई थी। तो उससे हमारा संबंधित घटना स्थल पर पहुंचना वन कर्मचारियों का पहुंचने में और उसको एटेंड करने में काफी मदद मिली है। तो ये दो-तीन प्रयास जो थे तो इनसे मैं समझता हूं कि वनाग्नि सत्र जो है उसमें काफी सुचारु रूप से और कम से कम घटनाएं रखते हुए ये पूरी अवधि गई है।”
उत्तराखंड वन विभाग की योजना है कि राज्य में वनाग्नि की घटनाओं पर काबू पाने के लिए भविष्य में भी इन पहलों को जारी रखा जाएगा।