Black-Box: अहमदाबाद से लंदन जाने वाले एअर इंडिया विमान का ब्लैक बॉक्स 13 जून को मेडिकल कॉलेज हॉस्टल इमारत की छत से बरामद किया गया, यह विमान उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद हादसे का शिकार हो गया था। ब्लैक बॉक्स की बरामदगी से जांच करने वालों को हादसे की वजह जानने में मदद मिलेगी, उस हादसे में विमान में सवार 241 लोगों के अलावा जमीन पर मौजूद कई लोगों की भी जान चली गई थी।
विमानन में ब्लैक बॉक्स का मतलब दो महत्वपूर्ण उड़ान रिकॉर्डिंग डिवाइस होते हैं, ये हैं – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर या एफडीआर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर यानी सीवीआर। उपकरण का नाम ब्लैक बॉक्स है, पर दरअसल इसका रंग चमकीला नारंगी होता है। इसे मलबे या गहरे पानी के भीतर भी उच्च दृश्यता के लिए डिजाइन किया जाता है।
ब्लैक बॉक्स के मजबूत आवरण के अंदर उड़ान से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े होते हैं। ये तेज गर्मी, भारी दबाव और चोट भी बर्दाश्त कर सकता है। 20,000 फीट पानी के नीचे भी इसके आंकड़े महफूज रहते हैं।
पूर्व पायलट एहसान खालिद ने कहा कि “ब्लैक बॉक्स बेशक नारंगी रंग का होता है, लेकिन इसे ब्लैक बॉक्स इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके अंदर के आंकड़े काफी अंधेरे बक्से में होते हैं। इन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता, ये कहना गलत है। फिर भी ये एक ऐसा बॉक्स है जो स्टील, एस्बेस्टस, और वॉटरप्रूफ होता है। इसके अंदर हार्ड डिस्क रखा जाता है। फिर इसे तोप के गोले से परखा जाता है। इसे तोप में डालते हैं और दीवार पर चोट करते हैं। फिर जांच करते हैं कि हार्ड डिस्क के अंदर के डेटा को नुकसान तो नहीं पहुंचा। ये पानी के अंदर कई-कई दिनों तक सलामत रहता है। ये पानी में करीब 20,000 फीट नीचे चला जाए, तो भी इसे नुकसान नहीं पहुंचता।”
“इसे दुर्घटना की जांच को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसमें आमतौर पर डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर होता है जो पिछले 25 घंटे के सभी उड़ान मापदंडों को रिकॉर्ड करता है। पिछली पीढ़ी के विमान में 256 पैरामीटर होते थे। इसमें 1000 से ज्यादा पैरामीटर हैं। यानी रिकॉर्ड करते समय इंजन की शक्ति क्या थी, पावर लीवर की स्थिति क्या थी, लैंडिंग गियर, नोज व्हील की स्थिति क्या थी, विमान में तापमान क्या था। विमान के इंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स के 1000 पैरामीटर और दूसरी चीजें इलेक्ट्रॉनिक रूप से डीएफडीआर में रिकॉर्ड की जाती हैं। इसे डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर कहा जाता है। अब ये हार्ड डिस्क के रूप में आता है। जिस तरह हमारे मोबाइल फोन में सब कुछ रिकॉर्ड हो सकता है, उसी तरह आप विमान में जो भी करते हैं, वो सब इसमें रिकॉर्ड होता है।”
सेफ्टी मैटर फाउंडेशन संस्थापक कैप्टन अमित सिंह ने कहा कि “दरअसल ब्लैक बॉक्स लाल रंग का बक्सा होता है। इसमें दो यूनिट होती हैं। एक कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर है, जिसमें कॉकपिट के अंदर की बातचीत और कॉकपिट में आने वाले एटीसी ट्रांसमिशन को रिकॉर्ड किया जाता है। इससे आपको पता चल जाता है कि पायलट किस बारे में बात कर रहे थे। आपातकालीन बीप, सायरन या दूसरी आवाजें क्या थीं। जांच करने वाले पता लगा सकते हैं कि कॉकपिट के अंदर क्या चल रहा था। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर इंजन पैरामीटर या फ्लाइट कंट्रोल सरफेस जैसे सभी पैरामीटर रिकॉर्ड करता है। गियर ऊपर या नीचे था, फ्लैप ऊपर या नीचे थे, इस तरह के कई पैरामीटर फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में रिकॉर्ड किए जाते हैं। जांच करने वाले ये तय करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं कि हादसे के वक्त क्या चल रहा था और पूरा परिदृश्य समझ सकते हैं।”
हादसे की वजह जानने के लिए ब्लैक बॉक्स से महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। इसमें उड़ान के दौरान पायलट की हर बातचीत भी रिकॉर्ड होती है। पीड़ितों के परिवार शोक से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। ब्लैक बॉक्स की बरामदगी से उसमें मौजूद आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण – दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
इससे यह भी पता चलेगा कि क्या कोई तकनीकी खराबी थी, सिस्टम में खराबी थी, या पायलट की प्रतिक्रिया में कोई चूक हुई। इससे जांच करने वालों को न सिर्फ समझने में मदद मिलेगी कि क्या हुआ था, बल्कि ये भी कि ऐसा क्यों हुआ था।