DNA sampling: अहमदाबाद से उड़ान भरने के फौरन बाद लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान भयानक हादसे का शिकार हो गया। हादसे में 265 लोगों की जान चली गई थी। इनमें विमान में सवार 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर भी थे।
दुर्घटना को दो दिन हो चुके हैं, लेकिन पीड़ितों के परिजनों को अब भी अपने प्रियजनों के पार्थिव शरीर का इंतजार है। फिलहाल डीएनए मिलान करके पीड़ितों की पहचान की जा रही है। पहचान होने के बाद शव उनके परिवारों को सौंपे जाएंगे।
डीएनए सैंपलिंग में किसी शख्स के डीएनए निकाल कर उसका विश्लेषण किया जाता है, ताकि उसकी पहचान सुनिश्चित हो सके या विशिष्ट आनुवंशिक लक्षणों का अध्ययन किया जा सके। जानकार बताते हैं कि पीड़ितों की पहचान करने के लिए अमूमन हड्डियों, दांतों या बालों से डीएमए के नमूने लिए जाते हैं।
मिलान करके पहचान में मदद के लिए पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के डीएनए नमूने लिए जाते हैं। आमतौर पर माता-पिता, भाई-बहन, या पैतृक या मातृ पक्ष के करीबी रिश्तेदारों से डीएनए नमूने लिए जाते हैं।
बुरी तरह जले शवों को पहचानना मुमकिन नहीं होता, जानकारों का कहना है कि ऐसी हालत में डीएनए जांच पहचान करने का सबसे भरोसेमंद तरीका है। इससे तेज गर्मी और सड़न में भी शवों की पहचान की जा सकती है।
डीएनए सैंपल एकत्र करने से लेकर मृतक की पहचान करने तक अमूमन 72 घंटे लगते हैं, गुजरात सरकार के अधिकारियों ने बताया कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में डीएनए सैंपलिंग और पहचान की व्यवस्था की गई है।
डॉ. नेहा झा, डीएनए विशेषज्ञ “डीएनए फिंगरप्रिंटिंग डीएनए अनुक्रम है, जो हर शख्स में अलग-अलग होता है। इस प्रक्रिया में हम डीएनए निकालते हैं। ये हड्डियों, दांतों या बालों से निकल सकता है। मुख्य रूप से हमें एक इंद्रिय की जरूरत होती है, जिससे हम डीएनए निकाल सकें। प्रयोगशाला में हम अपराध स्थल से प्राप्त साक्ष्य से डीएनए नमूना निकालते हैं। नमूना अच्छी स्थिति में हो सकता है या खराब स्थिति में भी। विमान दुर्घटना में लोग पूरी तरह से जल गए हैं। 90% से ज्यादा जले हुए हैं। उस हालत में हम दांतों से या हड्डियों से डीएनए निकाल सकते हैं। फिर हम डीएनए प्रोफाइलिंग करते हैं।”
उन्होंने कहा कि “इस मामले में शव पूरी तरह जले हुए हैं। इसलिए पहचान करना बेहद मुश्किल है। इसलिए पहचान करने के लिए सबसे सटीक जरिया डीएनए है, क्योंकि इससे सड़ी हुई हालत में भी शवों की पहचान करने में मदद मिलती है। तापमान चाहे जितना भी हो, मौसम की हालत जो भी हो, डीएनए खराब नहीं होता। इसलिए इस मामले में लोगों की पहचान के लिए डीएनए सबसे अच्छा जरिया है।”