Gujarat: विमान हादसे में जिंदा बचने वाले विश्वास कुमार रमेश का बयान आया सामने

Gujarat:  अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जा रहे एअर इंडिया की दुर्घटनाग्रस्त उड़ान एआई 171 के एकमात्र जीवित बचे विश्वास कुमार रमेश ने कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि कैसे वह चमत्कारिक रूप से उस हादसे में बच गए हैं जिसमें 265 लोगों की जान चली गई है।

ब्रिटिश नागरिक रमेश ने कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि अहमदाबाद से गैटविक के लिए नौ घंटे की यात्रा पूरी करने के लिए विमान उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद ही रुक गया तथा हरी और सफेद बत्तियां जल उठीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहर के सिविल अस्पताल में भर्ती रमेश से मुलाकात की और उनका हालचाल पूछा। लीसेस्टर निवासी रमेश ने कहा, ‘‘यह सब मेरी आंखों के सामने हुआ। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मैं कैसे बच गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं मरने वाला हूं, लेकिन जब मेरी आंखें खुलीं तो मैं जीवित था। मैंने सीट से अपनी बेल्ट खोली और बाहर निकल आया।’’ रमेश ने कहा, ‘‘मेरी आंखों के सामने एयरहोस्टेस और अंकल-आंटियों की मौत हो गई। एक मिनट के भीतर ऐसा लगा कि विमान रुक गया है। हरी और सफेद बत्तियां जल रही थीं। ऐसा लग रहा था कि वे विमान को और अधिक गति देने के लिए ‘दौड़’ लगा रही हैं और विमान एक इमारत से टकरा गया।’’

रमेश (45)अहमदाबाद-लंदन एआई171 उड़ान संचालित करने वाले 12 साल पुराने बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान की सीट संख्या 11ए पर बैठे थे। विमान में चालक दल के 12 सदस्यों सहित 242 लोग सवार थे। सीट संख्या 11ए, एअर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान की इकोनॉमी क्लास की पहली पंक्ति की छह सीटों में से एक है।

सीट मानचित्रके अनुसार, यह आपातकालीन निकास के पास एक खिड़की वाली सीट थी और विमान के प्लाइट अटेंडट के लिए बनाए गए स्थान से सटी हुई थी। रमेश ने बताया कि विमान का उनका हिस्सा हॉस्टल से नहीं टकराया, जिससे वह मलबे से दूर जा सके।

उन्होंने कहा कि ‘‘विमान में जहां मैं बैठा था वह हिस्सा जमीन पर गिरा। मेरे पास थोड़ी जगह थी। जब दरवाजा खुला, तो मैं एक जगह ढूंढ़ पाया और भाग निकला। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि मैं जिंदा हूं। आग में मेरा बायां हाथ जल गया, लेकिन मैं दुर्घटनास्थल से बाहर निकल आया। मुझे यहां अच्छा इलाज मिला।’’

रमेश मूल रूप से केंद्र शासित क्षेत्र दमन दीव के निवासी हैं और ब्रिटेन की राजधानी लंदन से 140 किलोमीटर दूर लीसेस्टर में रहते हैं।

विश्वास कुमार रमेश, हादसे में जीवित बचने वाले “मेरे नजरो के सब सामने हुआ था मेरे को खुद को भी यकीन नही हो रहा कि मैं कैसे उसमें से जिंदा बाहर निकला क्योंकि थोडे टाईम के लिए लगा था कि मैं तो मरने वाला हूं लेकिन जब मेरा आंख खुला तो मुझे लगा मैं जिंदा हूं मतलब क्या ही किया जाए। मैं जब ट्राई किया जब मेरी सीट से बेल्ट निकाला मैने वो ट्राई किया कहां से निकल सकते हैं, मैं निकल गया वहां से, टेक ऑफ के बाद एक मिनट के अंदर ही जब टेक ऑफ हुआ न तो सडनली पांच दस सैकेंड ऐसा लगा जैसे स्टॉप हो गया हो, बाद में ऐसा लगा मेरे को लगा कि कुछ हुआ ही नही है, बाद में प्लेन से निकला।

‘‘यह सब मेरी आंखों के सामने हुआ। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मैं कैसे बच गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं मरने वाला हूं, लेकिन जब मेरी आंखें खुलीं तो मैं जीवित था। मैंने सीट से अपनी बेल्ट खोली और बाहर निकल आया। एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं मरने वाला हूं, लेकिन जब मेरी आंखें खुलीं तो मैं जीवित था। मैंने सीट से अपनी बेल्ट खोली और बाहर निकल आया।’’

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