Purnima: देशभर के पवित्र स्थलों पर श्रद्धा और भक्ति का माहौल दिखा, श्रद्धालुओं ने ज्येष्ठ पूर्णिमा के खास मौके पर पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई, दान-पुण्य किया और पूजा-अर्चना की।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पवित्र सरयू नदी के घाटों पर तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस पवित्र पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए दान-पुण्य करते हैं, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सरयू जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। मान्यता कि इसी दिन सरयू नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।
घाट पुरोहित राम आधार पांडेय ने कहा कि “आज पूर्णिमा का दिन है। सरयू मां आई हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा को। वहां शासक के समय में आए हैं अयोध्या में सरयू मां विराजमान हैं। अवधपुरी, मैनपुरी, सुआगुन, उत्तर देशवाल, सरयू पावन अयोध्या के उत्तर दिशा में, उत्तर क्षेत्र में जहां तक अयोध्या का क्षेत्र है। सरयू मां निवास कर रही हैं। लोखों की संख्या में भक्तगण स्नान कर रहे हैं। दो बजे से स्नान चल रहा है। मां सरयू में डुबकी लगा रहे हैं। सरयू जयंती का फल प्राप्त कर रहे हैं। सरयू तीर्थों का फल भी ले रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हज़ारों श्रद्धालु गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वती के पवित्र संगम पर पहुंचे। उन्होंने अनुष्ठानिक स्नान और दान-पुण्य किया। उनका मानना है कि इस दिन एक बार डुबकी लगाने से सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं।
श्रद्धालुओ का कहना है कि “ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन है भईया। बहुत अच्छा दिन है। आज के दिन स्नान किया जाता है और दान-पुण्य किया जाता है। अपने घर, कुल, समाज, देश, दुनिया के लिए अच्छे कर्म और अच्छे धर्म के लिए आदमी मानता है। पूरा होता है मां गंगा मईया सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं। बहुत ही अच्छा पर्व है आज।”
“आज महापूर्णिमा है। जो कभी नहीं नहाता, आज वो महापूर्णिमा के दिन नहाले उसके सारे पाप धुल जाते हैं और मनोकामना पूरी हो जाती है। दान-पुण्य का बहुत महत्व है। दान देने से ही दान मिलता है। उस जन्म के लिए हम लोग प्रयास करते हैं कि अच्छा जाए। हमको जन्म मिले। इसलिए प्रयास करते हैं। गंगा जी में स्नान करने के लिए आए हुए हैं।”
पुजारियों के मुताबिक प्रमुख चंद्र नक्षत्र माने जाने वाले ज्येष्ठ नक्षत्र के संयोग ने इस दिन को आध्यात्मिक रूप से और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बना दिया है। संगम घाट पुरोहित गोपाल ने बताया कि “आज एक विशेष खास है, यह ज्येष्ठ महीना है। है ना तो पूर्णिमा आज है और ज्येष्ठ के महीने में पूर्णिमा को ज्येष्ठा नक्षत्र भी है। अगर इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र पड़ जाने से इसका महत्व विशेष बढ़ गया। हमारे यहां जितने भी महीने हैं ये सब नक्षत्रों के हिसाब से महीनों के नाम रखे गए हैं, है ना तो ज्येष्ठा में ज्येष्ठा नक्षत्र पड़ जाने से इसका विशेष महत्व है। इसलिए जो आदमी प्रयागराज में स्नान करता है। पुण्य करता है। उसके ऐसे कृत्य की वृद्धि होती है और जो उसके घर में जो भी बड़ा काम होता है उसमें उन्नति होती है उसमें।”
उत्तराखंड के हरिद्वार का हर की पौड़ी घाट श्रद्धालुओं के मंत्रोच्चार और प्रार्थनाओं से गूंज उठा, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं ने पितृ तर्पण किया, यह एक ऐसा अनुष्ठान है जिसमें अपने पूर्वजों की शांति और मोक्ष के लिए भोजन और वस्त्र भगवान को अर्पित किए जाते हैं और उनसे प्रार्थना की जाती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के महीने ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन पूजा-पाठ करते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं उन्हें भगवान से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और वे अपने सभी दुखों से मुक्त हो जाते हैं।